राजस्थान: पीएम और उपराष्ट्रपति समेत कई CM लगा चुके मां त्रिपुरा सुंदरी के दरबार में धोक

भगवान अपने भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं। राजस्थान के दक्षिण अंचल में बांसवाड़ा जिले में एक ऐसी देवी का मंदिर है, जो सत्ता सुख प्रदान करती है। प्रधानमंत्री, उप राष्ट्रपति से लेकर कांग्रेस और भाजपा के कई मुख्यमंत्री मातारानी के दर पर मत्था टेक चुके हैं और अपनी राजनीतिक मनोकामना पूर्ण होने पर यज्ञादि करा चुके हैं।

बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर मातारानी त्रिपुरा सुंदरी का है। जहां नवरात्रि में बड़ी संख्या में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं। वहीं, कई विशिष्ट और अति विशिष्ट जनों की भी इस मंदिर से अगाध आस्था जुड़ी हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित विभिन्न प्रांतों के राजनीतिज्ञ मां त्रिपुरा सुंदर के आगे अपनी कामनाओं की झोली फैलाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इन दिग्गजों ने शक्तिपीठ पर टेका मत्था

मातारानी त्रिपुरा सुंदरी के दर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व उपराष्ट्रपति दिवंगत भैरोंसिंह शेखावत, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल कलराज मिश्रा, ओम माथुर, गुलाबचंद कटारिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भूपेन्द्र यादव, योग गुरु बाबा रामदेव, प्रकाश जावड़ेकर, हेमा मालिनी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पूर्व राज्यपाल दिवंगत कल्याण सिंह, पंजाब के राज्यपाल रहे वीपी सिंह, सीपी जोशी और सचिन पायलट आदि दिग्गज नेता माता के चरणों में धोक लगा चुके हैं।

चुनाव परिणाम से पहले मां की शरण में पहुंचते हैं नेता

मंदिर से जुड़े जागेश पंचाल बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनावों के बाद मतगणना के दिन सुबह ही मंदिर पहुंच जाती हैं। चाहे हार हो या जीत, वह मां त्रिपुरा सुंदरी का आशीर्वाद लेने के बाद ही यहां से वापस जयपुर के लिए रवाना होती हैं। नवरात्रि में उनकी ओर से यहां विशेष अनुष्ठान भी कराया जाता है। मंदिर ट्रस्ट से जुड़े कांतिलाल पंचाल बताते हैं कि बांसवाड़ा के निवासी और पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी की मां त्रिपुरा सुंदरी में आगाध आस्था रही। अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में जब भी वे जयपुर से आते, पहले त्रिपुरा सुंदरी मां के दर्शन करते और उसके बाद बांसवाड़ा के लिए प्रस्थान करते थे।

यह है मंदिर का इतिहास

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के निर्माण काल का ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। हालांकि मंदिर क्षेत्र में एक शिलालेख मिला है। शिलालेख के अनुसार अनुमान है कि यह मंदिर सम्राट कनिष्क के काल से पूर्व का है। शिलालेख में त्रिपुरारी शब्द का उल्लेख है। कहा जाता है कि यहां आसपास गढ़पोली नामक नगर था। इसमें सीतापुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी नाम से तीन दुर्ग थे। तीन दुर्गों के बीच देवी मां का मंदिर स्थित होने से इसे त्रिपुरा सुंदरी कहा जाने लगा।

वहीं, इस मंदिर में देवी का नाम त्रिपुरा सुंदरी होने के पीछे यह बताया जाता है कि यहां मां के दर्शन प्रात: में कुमारिका, मध्यान्ह में यौवना तथा संध्या में प्रौढ़ा रूप में होते हैं। गर्भगृह में मां त्रिपुरा सुंदरी की प्रतिमा 18 भुजाओं वाली है। भुजाओं में विविध आयुध और नवदुर्गाओं की प्रतिकृतियां उत्कीर्ण हैं। चरणों में श्री यंत्र निर्मित है। स्थानीय लोग इसे तरतई माता के नाम भी पुकारते हैं।

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