राजधानी में बाढ़ का संकट टला, राहत शिविर से घरों की ओर लौटने लगे लोग

राहत शिविरों में रहने वाले लोग बाढ़ क्षेत्र में बनाई अपनी झोपड़ियों में लौटने लगे हैं। अभी भी यमुना का जलस्तर चेतावनी स्तर 204.50 से ऊपर है।

यमुना डूब क्षेत्रों में अभी कुछ जगहों पर पानी भरा हुआ है, जबकि अधिकतर क्षेत्राें से पानी उतर गया है। ऐसे में राहत शिविरों में रहने वाले लोग बाढ़ क्षेत्र में बनाई अपनी झोपड़ियों में लौटने लगे हैं। अभी भी यमुना का जलस्तर चेतावनी स्तर 204.50 से ऊपर है। मंगलवार शाम तक ओआरबी पर यमुना का जलस्तर 204.90 मीटर दर्ज किया गया।

बाढ़ क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अब पानी बढ़ने की आशंका नजर नहीं आ रही है। करीब हफ्ते भर से राहत शिविरों में ठिकाना बनाए ये लोग अब अपनी झोपड़ियों में लौटना चाहते हैं। मंगलवार को मयूर विहार खादर के पास बनाए गए राहत शिविरों की पड़ताल करने पर पता चला कि अब ये जगह खाली होने लगी है।

लोग धीरे-धीरे अपना सामान समेटकर यमुना बाढ़ क्षेत्र में लौट रहे हैं। करीब 50 फीसदी लोग राहत शिविर से लौट गए हैं। जिन लोगों की झोपड़ियों के आसपास अभी जल भराव है, वे राहत शिविरों में रहकर पानी सूखने का इंतजार कर रहे हैं। यमुना पार आईटीओ पुल के पास राहत शिविरों में अभी भी भारी तादाद में लोग रह रहे हैं। इन्हें भी पानी घटने का इंतजार है और लोग फिर से अपने ठिकाने पर लौटना चाहते हैं।

कुछ लोग करते हैं खेती, तो कई नौकरी पर निर्भर
यमुना बाढ़ क्षेत्र में भारी संख्या में लोग खेती करते हैं। एनजीटी ने दिल्ली में यमुना बाढ़ क्षेत्र में खेती करने पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन यहां पर सैकड़ों लोग ऐसे हैं, जिनका पूरा परिवार खेती कर आजीविका चलाते हैं। लोग खादर क्षेत्र में पट्टे पर खेत लेकर सब्जियां व अन्य फसलें तैयार करते हैं और आसपास के बाजारों में बेचते हैं। यमुना बाढ़ क्षेत्र में लगाई गई फसलें हर साल मानसून सीजन में पानी में डूब जाती हैं, बावजूद इसके ये लोग हर हाल में अपने खेतों में लौटना चाहते हैं। बातचीत में पता चला कि यमुना बाढ़ क्षेत्र में कई ऐसे परिवार भी रहते हैं, जो नौकरीपेशा या अपना काम धंधा करते हैं, महिलाएं घरेलू सहायिका के रूप में नौकरी करती हैं।

राहत शिविरों में खाने, दवाइयों की कोई कमी नहीं
राहत शिविरों में खाने-पीने और दवाइयों की कोई कमी नहीं है। तमाम एनजीओ और दिल्ली सरकार की ओर से इनके लिए खाने की व्यवस्था हो रही है। मोबाइल डिस्पेंसरी, एबुलेंस, दवाई वितरण केंद्र भी यहां चल रहे हैं। मोबाइल टॉयलेट और जलबोर्ड से पानी की भरपूर सप्लाई भी की जा रही है। शिविरों में बिजली की सप्लाई दी गई है। एलईडी लाइटों से रात को टेंट रोशन होते हैं।

बाढ़ पीड़ितों के नाम पर आप की राजनीति शर्मनाक : सचदेवा
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के नाम पर आम आदमी पार्टी नेताओं, खासकर नेता प्रतिपक्ष आतिशी की राजनीति शर्मनाक है। आप नेता केवल घड़ियाली आंसू बहाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। सचदेवा ने आरोप लगाया कि 10 वर्षों तक सत्ता में रहते हुए आम आदमी पार्टी ने किसानों की समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2015 और 2016 में ओलावृष्टि से किसानों को भारी नुकसान हुआ, लेकिन उन्हें आज तक पूरा मुआवजा नहीं मिला।

अक्तूबर 2023 की असमय बारिश में किसानों की फसलें बर्बाद हुईं, तब केजरीवाल सरकार ने 55 करोड़ रुपये का मुआवजा घोषित तो किया, लेकिन उसका आंशिक भी वितरण नहीं किया। इसी तरह 2024 के मानसून में भारी मार झेलने वाले किसानों को एक पैसा तक नहीं दिया गया।उन्होंने कहा कि दिल्ली के किसान लगातार कृषि राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करते रहे, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसे अनसुना किया। इसके कारण न तो किसानों को ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी मिलती है और न ही प्राकृतिक आपदाओं में केंद्र से सहायता।

केजरीवाल और आतिशी ने बाढ़ पीड़ितों के लिए मांगी राहत
आम आदमी पार्टी ने भाजपा शासित दिल्ली सरकार से बाढ़ पीड़ितों को तुरंत आर्थिक और सामाजिक मदद देने की मांग की है। आप नेता अरविंद केजरीवाल व आतिशी ने कहा कि दिल्ली में हाल ही में आई बाढ़ से हजारों परिवारों की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है। पानी भले ही अब उतर चुका हो, लेकिन गरीब और मजदूर वर्ग अभी भी बर्बादी का सामना कर रहा है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बाढ़ का सबसे अधिक असर गरीब परिवारों पर हुआ है।

उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से अपील की कि हर प्रभावित परिवार के वयस्क सदस्य को कम से कम 18 हजार रुपये दिए जाएं। किसानों की फसल पूरी तरह तबाह हुई है, इसलिए उन्हें प्रति एकड़ 20 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों की किताबें, कॉपियां, बैग और स्कूल का सामान तुरंत उपलब्ध कराया जाए। जिनके कागजात बह गए हैं, उनके लिए विशेष शिविर लगाकर नए दस्तावेज बनाए जाएं। आतिशी ने भी बाढ़ प्रभावितों की दयनीय स्थिति उजागर की। उन्होंने कहा कि हजारों लोग 10 दिन से अधिक समय तक काम पर नहीं जा पाए और अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से भी अपील की कि वे पीड़ितों की हर संभव मदद करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button