रसोई गैस की हर माह कीमत बढ़ाने के बीजेपी सरकार के फैसले पर विपक्ष ने कसा फंदा
खास बातेंपेट्रोल, डीजल जीएसटी के दायरे से बाहर किन्तु रसोई गैस शामिलकच्चे तेल के अंतराष्ट्रीय दाम कम होने पर नहीं दिया जाता लाभबीजेपी और आरएसएस के लोग केवल कार्पोरेट सेक्टर के हितैषीनई दिल्ली: सरकार ने रसोई गैस पर सब्सिडी धीरे-धीरे पूरी तरह समाप्त करने का फैसला लिया है. इसके तहत हर माह रसोई गैस सिलेंडर रिफिल की कीमत में चार रुपये वृद्धि की जाएगी. विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि सरकार एक तरफ तो अधिक से अधिक आबादी तक रसोई गैस सुविधा पहुंचा रही है वहीं इसके दाम बढ़ाकर आम आदमी की कमर तोड़ रही है. विपक्ष का यह भी मानना है कि सरकार कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा रही है.
सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर के मूल्य में चार रुपये प्रति माह की वृद्धि करने के सरकार के कदम का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है. सरकार के कदम के बारे में पूछे जाने पर भाकपा नेता डी राजा ने कहा , ‘‘वे चार रुपये प्रति माह की वृद्धि को लागू करना चाहते हैं, ताकि इसके मूल्य को किसी निश्चित समयावधि के भीतर बाजार मूल्य स्तर के समतुल्य लाया जा सके. साथ ही रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके.’’ उन्होंने कहा कि यह भी एक विडंबना है कि उन्होंने पेट्रोल एवं डीजल को तो माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे के बाहर रखा है किन्तु रसोई गैस को इसके तहत रख दिया है. इस बात को लेकर अभी तक अस्पष्टता बनी हुई है कि पेट्रोलियम पदार्थों को किस तरह से करों के दायरे में रखें.
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कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोग केवल कार्पोरेट सेक्टर के हित के बारे में सोचते हैं. उन्हें आम आदमी के फायदे नुकसान से कोई लेना देना नहीं है. दलवई ने कहा कि एक तरफ तो नरेन्द्र मोदी सरकार गरीबों को रसोई गैस मुहैया कराने के लिए योजना चला रही है. वहीं दूसरी तरफ हर महीने चार रुपये रसोई गैस की कीमत बढ़ाने का निर्देश दे रही है. ऐसे में सरकार के इस कदम से सबसे ज्यादा असर किस पर पड़ेगा? इस कदम से सबसे ज्यादा गरीब आदमी और मध्यम वर्ग के लोगों पर असर पड़ेगा.
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कांग्रेस के नेता राजीव शुक्ला ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि अब सरकार कह रही है कि रसोई गैस पर प्रति महीने चार रुपये बढ़ाने का जो कदम है यह संप्रग सरकार का फैसला है. उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार का फैसला तब का था जब कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम 120 डालर प्रति बैरल थे. यह फैसला उस समय नहीं लिया गया जब आज की तरह कच्चे तेल के दाम इतने कम हैं.