रक्षाबंधन पर क्यों है नई जनेऊ पहनने की परंपरा? जानें इसका महत्व

रक्षाबंधन सिर्फ राखी का त्योहार नहीं बल्कि जनेऊ बदलने की भी परंपरा है। इस दिन (Raksha Bandhan 2025) यानी सावन पूर्णिमा पर नई जनेऊ पहनी जाती है जिसे श्रावणी उपाकर्म कहते हैं। जनेऊ तीन धागों से बना त्रिदेवों का प्रतीक है और कर्तव्य संस्कार की याद दिलाता है। इसका पालन करने से पापों का नाश होता है।

रक्षाबंधन का पर्व केवल राखी बांधने तक ही सीमित नहीं है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में कई और महत्वपूर्ण परंपराओं का भी संगम है। इन्हीं में से एक है इस दिन नई जनेऊ यानी यज्ञोपवीत धारण करने की परंपरा, जिसका हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है, तो चलिए इसका (Raksha Bandhan 2025) महत्व और इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

जनेऊ का धार्मिक महत्व
जनेऊ, जिसे यज्ञोपवीत भी कहते हैं, यह सूत से बना एक पवित्र धागा होता है, जिसे तीन धागों को मिलाकर बनाया जाता है। ये तीन धागे ब्रह्मा, विष्णु और महेश – त्रिदेवों का प्रतीक माने जाते हैं। यह व्यक्ति को उसके कर्तव्यों, संस्कारों और आध्यात्मिक उन्नति की याद दिलाता है। जनेऊ पहनना व्यक्ति को अनुशासन और पवित्रता का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।

रक्षाबंधन पर नई जनेऊ क्यों पहनते हैं?
रक्षाबंधन का पर्व सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसी कारण इस दिन को ‘श्रावणी उपाकर्म’ (Sacred Thread Tradition on Rakhi) भी कहते हैं। यह वह दिन होता है, जब प्राचीन काल में ऋषि-मुनि अपने शिष्यों को वेदों के बारे में बताते थे और उन्हें नई जनेऊ धारण करवाते थे। इस परंपरा का पालन आज भी किया जाता है।

नई जनेऊ पहनने के कारण
पवित्रता का प्रतीक – रक्षाबंधन में पुरानी जनेऊ को बदलकर नई, पवित्र जनेऊ धारण करने की वजह शरीर और आत्मा की शुद्धता को बनाए रखना है। यह एक तरह से आध्यात्मिक और शारीरिक स्वच्छता का प्रतीक है। मान्यता है कि इससे शरीर की पवित्रता बनी रहती है।

पुराने पापों का नाश – श्रावणी उपाकर्म पुराने किए गए जाने-अनजाने पापों और गलतियों का प्रायश्चित करता है। नई जनेऊ धारण करना एक नई शुरुआत करने का प्रतीक है, जिसमें व्यक्ति अच्छे कर्म करने का संकल्प लेता है।

ज्ञान और संस्कार का प्रतीक – यह पर्व न केवल भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है, बल्कि ज्ञान और संस्कार के महत्व को भी दर्शाता है। नई जनेऊ धारण करने से व्यक्ति को अपने कर्तव्यों, संस्कारों और आध्यात्मिक मार्ग को याद रखता है।

सामाजिक और पारिवारिक महत्व – इस दिन घर के सभी पुरुष सदस्य एक साथ आकर पुरानी जनेऊ को बदलते हैं। यह धार्मिक अनुष्ठान परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और उन्हें अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों से जोड़े रखता है।

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