यूपी-राजस्थान के मेडिकल कॉलेजों में दी जाने वाली दवाओं का अध्ययन करेगा एएमयू

उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मेडिकल कॉलेजों में मरीजों को दी जाने वाली दवाओं के दुष्प्रभाव का अध्ययन एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में होगा। इसके लिए यहां पर रीजनल सेंटर बनाया जाएगा। जल्द ही इंडिया फार्मोकोपिया कमीशन (आईपीसी) गाजियाबाद से इसकी अनुमति मिलने की उम्मीद है।

फार्माकोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ.इरफान खान कहते हैं कि अमेरिका में 50 से 60 फीसदी मरीजों को दी जाने वाली दवाओं के प्रतिकूल असर का अध्ययन किया जाता है। भारत में यह महज दो फीसदी है। इसलिए अब इसे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि नुकसान करने वाली दवाओं से बचा जा सके।

यूपी और राजस्थान के मेडिकल कॉलेजों में मरीजों को दी जा रही दवाओं के दुष्प्रभाव का अध्ययन अब एएमयू में होगा। इससे एक बड़ा डाटा तैयार होगा। जिससे दवाओं के नुकसान का बेहतर आकलन हो सकेगा। इसका लाभ मरीजों को मिलेगा। जो दवाएं ज्यादा लोगों को नुकसान कर रहीं हैं, उनमें सुधार किया जा सकेगा।-प्रो. सैयद जियाउर रहमान, चेयरमैन फार्माकोलॉजी डिपार्टमेंट।

1988 में शुरू हुआ था पहला प्रोजेक्ट
पूरे देश में दवाओं के दुष्प्रभाव का पहला बड़ा अध्ययन एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी डिपार्टमेंट में हुआ था। वर्ष 1988 से 1993 तक पांच साल चले इस प्रोजेक्ट में देश भर के 1.50 लाख मरीज शामिल किए गए थे। यह मरीज बेंगलुरू, भोपाल, दिल्ली सहित 12 बड़े मेडिकल कॉलेज से थे। यह प्रोजेक्ट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की देखरेख में पूरा हुआ था।

Back to top button