मोबाइल टीमों के जरिए आरसीएस एयरपोर्ट को सुरक्षा देगी सीआईएसएफ

नई दिल्ली. रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम ‘उड़ान’ के तहत शुरू किए जा रहे छोटे एयरपोर्ट्स की सुरक्षा को लेकर गृह मंत्रालय और विमानन मंत्रालय के बीच चल रही कश्मकश का सीआईएसएफ ने एक हल खोज निकाला है। सीआईएसएफ ने रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (आरसीएस) के अंतर्गत आने वाले एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए नया मॉडल तैयार किया है। जिसके तहत सीआईएसएफ आरसीएस एयरपोर्ट केे नजदीक स्थित मौजूदा यूनिट में मोबाइल टीमों का गठन करेगी। मोबाइल टीमें विमानों के परिचालन से पहले आरसीएस एयरपोर्ट पर पहुंचेंगी और विमान का टेकऑफ कराने के बाद वापस अपनी मूल यूनिट में लौट आएंगी।

इस मॉडल के जरिए आरसीएस एयरपोर्ट पर सुरक्षा मानकों से समझौता किए बगैर समान सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई जा सकेगी। सीआईएसएफ ने इस बाबत एक प्रस्ताव विमानन मंत्रालय और गृह मंत्रालय को भेज दिया है। इस प्रस्ताव के बाबत दोनों मंत्रालय को आखिरी फैसला लेना है।
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कोर और नॉन-कोर एरिया में बट सकती है एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था
सीआईएसएफके प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए दोनों मंत्रालय की संयुक्त समिति ने सीआईएसएफ को कोर और नॉन-कोर सिक्योरिटी एरिया के अध्ययन की जिम्मेदारी दी है। अध्ययन के बाद सीआईएसएफ को बताना है कि कोर एरिया के तहत उन्हें कौन सी जिम्मेदारी सौंपी जाए और नॉन एरिया के तहत आने वाले इलाकों की जिम्मेदारी दूसरी सुरक्षा ऐजेंसी को सौंपी जाए। संयुक्त समिति का मन है कि नॉन कोर एरिया में दूसरी एजेंसी की तैनाती कर सीआईएसएफ की सिर्फ ऑब्जर्वर की भूमिका में रखा जाए।
दोनों मंत्रालय के बीच क्या है कश्मकश
विमानन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आरसीएस एयरपोर्ट और फ्लाइट के ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती ऑपरेशनल कॉस्ट को न्यूनतम रखना है। जिससे आरसीएस उड़ानों के किराए को न्यूनतम रखा जा सके। गृह मंत्रालय का मत था कि एविएशन सिक्योरिटी की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इन एयरपोर्ट की सुरक्षा सीआईएसएफ के हवाले की जाए। लेकिन इस प्रस्ताव में समस्या यह है कि सीआईएसएफ की स्थायी तैनाती का खर्च बेहद अधिक है। जिसका नकारात्मक असर ऑपरेशनल कॉस्ट और आरसीएस फ्लाइट्स के किराया पर पड़ेगा। वहीं विमानन मंत्रालय का प्रस्ताव था कि कॉस्ट कम करने के लिए स्थानीय पुलिस या दूसरी एजेंसी की मदद ली जा सकती है। लेकिन इस प्रस्ताव पर गृह मंत्रालय को आपत्ति है। गृह मंत्रालय देश कर सभी एयरपोर्ट की सुरक्षा एक सी और एक ही सुरक्षा एजेंसी के पास रखना चाहती है। जिससे सुरक्षा चूक की कोई संभावना रहे।
मोबाइल टीम का खर्चा होगा कम
सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मोबाइल टीम की स्थिति में एयरपोर्ट ऑपरेटर को सिर्फ जवानों के वेतन का भुगतान करना होगा। इसके अलावा सामान्य तौर पर उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधा जैसे जवानों एवं अधिकारियों के आवास, बैरक, शस्त्रागार (कोथ) सहित अन्य सुविधाओं पर एयरपोर्ट ऑपरेटर्स को खर्च नही करना पड़ेगा। सीआईएसएफ के जवानों को ये सभी सुविधा उनकी मूल यूनिट में उपलब्ध होंगी। दूसरी तरफ सीआईएसएफ की एविएशन सिक्योरिटी में विशेषज्ञता है। सीआईएसएफ पैसेंजर प्रोफाइलिंग, बैगेज स्क्रीनिंग, एन्टी हाइजैक ड्रिल सहित अन्य सुरक्षा जांच प्रक्रिया में लगातार अपने जवानों को प्रशिक्षण देती है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा 31 आरसीएस एयरपोर्ट से सीआईएसएफ की आठ यूनिट बेहद करीब स्थित हैं।
आरसीएस एयरपोर्ट की सुरक्षा को लेकर कोर और नॉन कोर एरिया की स्टडी करने की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंपी गई है। सीआईएसएफ की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद आखिरी फैसला लिया जाएगा।
– उषापाढ़ी, संयुक्त सचिव, नागर विमानन मंत्रालय