खुशखबरी : मोदी सरकार ने दी नेशनल हेल्थ पॉलिसी को मंजूरी, अब मिल सकेगा फ्री में इलाज

नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को आखिरकार नेशनल हेल्थ पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इसकी मदद से सरकार सभी को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने की तैयारी में है। पिछले दो साल से लंबित इस ड्राफ्ट को पीएम मोदी के नर्देश अनुसार कुछ बदलाव करते हुए मंजूरी दी गई है।

 खुशखबरी : मोदी सरकार ने दी नेशनल हेल्थ पॉलिसी को मंजूरी, अब मिल सकेगा फ्री में इलाज

सरकारी योजनाओं के तहत विशेषज्ञ और शीर्ष स्तरीय इलाज में अब निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाया जाएगा। जहां सरकार अपना ध्यान प्राथमिक चिकित्सा को मजबूत बनाने पर लगाएगी, विशेषज्ञ इलाज के लिए लोगों को सरकारी या निजी अस्पताल में जाने की छूट होगी। स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों को ऐसे इलाज के लिए तय रकम दी जाएगी।

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को मंजूरी दे दी गई। इसमें सबको स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने और इसके लिए मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रावधान करने को सरकार की जिम्मेवारी बताया गया है। हालांकि इसे सूचना या भोजन के अधिकार की तरह लोगों का अधिकार घोषित नहीं किया जाएगा। इसी तरह स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च को जल्दी ही बढ़ा कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5 फीसदी तक पहुंचाया जाएगा। इस समय यह 1.04 फीसदी के करीब है।

15 साल बाद आई नीति

यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 15 साल बाद आई है। दो साल पहले ही इसका मसौदा तैयार कर लिया गया था। लेकिन इसके बाद से यह लटकी हुई थी। पिछले कुछ दिनों के दौरान भी इसे दौ बार कैबिनेट में पेश किया गया। लेकिन इसको मंजूरी नहीं मिल सकी। स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को ले कर नई सरकार पर कई तरह के दबाव हैं। एक तरफ नीति आयोग यह सिफारिश कर चुका है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को बंद कर दिया जाए। लेकिन राजनीतिक रूप से यह फैसला बहुत मुश्किल होगा। ऐसे में अब नई नीति के मुताबिक सरकार नए अस्पतालों को बनाने पर ज्यादा जोर देने की बजाय इस मामले में निजी और सरकारी सुविधाओं के बीच मुकाबला करवाएगी।

जहां चाहें, कराएं इलाज

-मरीजों को यह सुविधा होगी कि वे जिस अस्पताल में चाहें अपना इलाज करवाएं।

-ऐसे में नए ढांचे खड़े करने पर लगने वाले धन को सीधे इलाज के लिए खर्च किया जा सकेगा।

इस समय देश में डॉक्टर से दिखाने में 80 फीसद और अस्पताल में भर्ती होने के मामले में 60 फीसद हिस्सा निजी क्षेत्र का है।

-लेकिन निजी क्षेत्र में जाने वाले लोगों में अधिकतर को अपनी जेब से ही इसका भुगतान करना होता है।

-स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन पर भी जोर। प्रमुख बीमारियों को समाप्त करने के लिए समय सीमा तय की गई है।

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