महारास्ट्र: ‘कबूतरों से कोई नुकसान नहीं, पटाखों का प्रदूषण में ज्यादा योगदान

भाजपा नेता मेनका गांधी ने कहा कि कबूतरों से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है और मुंबई के बंद किए गए कबूतरखाने जल्द ही फिर से खोले जाएं। उन्होंने पटाखों को कहीं ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाला बताया और कहा कि अब पटाखों का दौर खत्म होना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने शनिवार को उम्मीद जताई कि मुंबई के कबूतरखानों को फिर से खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि कबूतरों से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है, जबकि प्रदूषण फैलाने में पटाखों का बड़ा योगदान है। मुंबई में एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मेनका गांधी ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कबूतरखानों को लेकर फैसला लेने के लिए एक समिति बनाई है। मुझे भरोसा है कि समिति की रिपोर्ट कबूतरखानों को खोलने के पक्ष में होगी।
‘कबूतरों की वजह से नहीं हुई किसी की मौत’
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने पिछले महीने कबूतरों को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा मानते हुए शहर के कुछ पुराने कबूतरखाने बंद कर दिए थे और वहां पर दाना डालने पर रोक लगा दी थी। मेनका गांधी ने कहा कि भारत की नींव करुणा पर टिकी हुई है। यह जीवन जीने और दूसरों को भी जीने देने के सिद्धांत पर आधारित है। आज तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि किसी की मौत कबूतरों की वजह से हुई हो। कबूतरों से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। उन्होंने बताया कि मुंबई में 57 कबूतरखाने हैं, जिनमें से कुछ को बंद कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने इस मामले पर फैसला लेने के लिए एक समिति गठित की है, जो एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। मेनका गांधी ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद कबूतरखाने फिर से खोले जाएंगे और उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है।
‘अब पटाखों का समय खत्म हो गया’
मेनका गांधी ने पटाखों के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर कबूतरों को बीमारी फैलाने की वजह से मारने की बात होती है, तो पटाखे तो कई गुना ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान राम औ सीता के समय में पटाखों का कोई अस्तित्व नहीं था। उस समय लोग दीये जलाते थे और खाना बांटते थे। अब पटाखों का समय खत्म हो गया है, क्योंकि लोग अब सांस भी नहीं ले पा रहे हैं।
‘भारत की पर्यटन क्षमता प्रभावित हुई’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने देश की पर्यटन नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बेतहाशा जंगलों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों की अनदेखी की वजह से भारत की पर्यटन क्षमता प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा, भारत की पर्यटन की भूख कई छोटे देशों से भी कम है। जितने ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे और जितनी स्थानीय संस्कृति को खत्म किया जाएगा, उतने कम लोग यहां आएंगे। अगर हम अपने जंगलों और जानवरों का सम्मान करें, तो हम पांच साल में चमत्कार कर सकते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछले दस वर्षों में करीब 21 लाख हेक्टेयर जमीन से पेड़ काटे जा चुके हैं।