महाराष्ट्र: शनि शिंगणापुर मंदिर में 144 मुस्लिम समेत 167 कर्मचारी बरखास्त

महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने 114 मुस्लिमों समेत 167 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है जिससे विवाद खड़ा हो गया है। मंदिर ट्रस्ट के अनुसार यह फैसला प्रशासनिक है और कर्मचारियों द्वारा नियमों के उल्लंघन के कारण लिया गया। हालांकि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब हिंदू संगठन मंदिरों में मुस्लिम कर्मचारियों की उपस्थिति का विरोध कर रहे हैं।
महारष्ट्र के अहिल्यानगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने 114 मुस्लिमों समेत 167 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इतने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की बर्खास्तगी के कारण मंदिर ट्रस्ट सवालों के घेरे में आ गया है।
मंदिर ट्रस्ट का यह फैसला ऐसे समय सामने आया जब मंदिरों में मुस्लिम कर्मचारियों के होने का विरोध किया जा रहा है। हालांकि शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि यह फैसला पूरी तरह से प्रशासनिक है।
मंदिर ट्रस्ट ने दिया जवाब
मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों के अनुसार, यह एक प्रशासिक निर्णय है। निकाले गए कर्मचारी लगातार कुछ नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। अनुशासनहीनता के कारण उन्हें बरखास्त किया गया है।
हिंदू संगठनों ने किया था विरोध
बता दें कि कई हिंदू संगठन मंदिर परिसर में मुस्लिम कर्मचारियों की उपस्थित पर आपत्ति दर्ज कर चुके हैं। उनका कहना है कि शनि भगवान के मंदिर में गैर-हिंदू कर्मचारियों का क्या काम है? यही नहीं, हिंदू संगठनों ने मंदिर ट्रस्ट को चेतावनी दी थी अगर उन्होंने मुस्लिमों को मंदिर से बाहर नहीं निकाला तो 14 मार्च को वो बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन शुरू कर देंगे।
सपा नेता ने उठाए सवाल
समाजवादी पार्टी के नेता रईस शेख ने भी मंदिर ट्रस्ट के इस फैसले की आलोचना की है। उनका कहना है, “धर्म के आधार पर कर्मचारियों को नौकरी से निकालना नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह अवैध और मनमाना फैसला है।”
रईस शेख ने कहा-
मुस्लिमों और दलित हमेशा से बीजेपी के निशाने पर रहे हैं। धार्मिक आधार पर वोट बांटना और सत्ता में बने रहना ही उनका मुख्य मकसद है।
क्यों मशहूर है यह मंदिर?
बता दें कि शनि शिंगणापुर मंदिर काफी पुराना है। यहां भगवान शनिदेव की मूर्ति खुले आसमान के नीचे रखी है। वहीं, शनि शिंगणापुर देश का अकेला ऐसा गांव है, जहां किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। हाल के समय में मुस्लिम कर्मचारियों के कारण यह मंदिर विवादों में आ गया है।