तो इसलिए महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण को 18 दिनों तक खानी पड़ी थी मूंगफली, वजह बेहद…

महाभारत युद्ध के प्रत्येक दिन भगवान श्री कृष्ण मूंगफली खाते थे फिर युद्ध की ओर प्रस्थान करते थे। ये उनका रोज़ाना का काम था। युद्ध शुरू होने से पहले वे कुछ मूंगफलियां अपने मुंह में डाल लेते थे। महाभारत की लड़ाई में श्री कृष्ण के मूंगफली खाने के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा हुआ था। जिसे सिर्फ एक ही व्यक्ति जानता था और वे थे उडुपी राज्य के राजा।

दरअसल, उडुपी राज्य के राजा पांडवों और कौरवों में से किसी के पक्ष से नहीं लड़े। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से कहा की महाभारत के इस भीषण युद्ध में लाखों योद्धा शामिल होंगे और युद्ध करेंगे परन्तु शाम को युद्ध समाप्त होने के बाद जब ये वापस अपने शिविर में आएंगे तो इन्हें भोजन की आवश्यकता होगी। अतः हे वासुदेव श्री कृष्ण मैं चाहता हूं की मैं पांडव एवम कौरव दोनों पक्षो के सैनिकों के लिए भोजन का प्रबंध करूं।

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भगवान श्री कृष्ण राजा की इस बात से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा उडुपी को आज्ञा दे दी, लेकिन अब राजा उडुपी के सामने एक नई समस्या आ गई। समस्या यह थी की कैसे निश्चित किया जाए की हर दिन युद्ध समाप्त होने के पश्चात सैनिकों के लिए कितना खाना बनाया जाए, क्योकि युद्ध में हर दिन अनेकों सैनिक मारे जाते थे। ऐसे में यदि किसी दिन कम खाना बनाया जाए तो उस दिन सैनिक भूखे मर जाएंगे और जिस दिन यदि खाना ज्यादा बन जाए तो बर्बाद होने पर अन्नपूर्णा का अपमान होगा।

उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के समक्ष जाकर अपनी समस्या रखी।श्री कृष्ण यह सुनकर और ज्यादा खुश हुए ऐसी दशा में राजा को अन्नपूर्णा की कितनी फिक्र है। उन्होंने इस समस्या को सुलझाने के लिए कहा की महाभारत युद्ध के दौरान हर दिन मैं मूंगफली के कुछ दाने खाऊंगा। मूंगफली के जितने दाने मैं एक दिन में खाऊंगा समझ लेना उतने हजार सैनिक उस दिन युद्ध में मारे जाएंगे। इस तरह भगवान श्री कृष्ण ने राजा उडुपी के सामने एक बहुत बड़ा रहस्य खोलकर रख दिया। कहा जाता है कि जिस कारण से युद्ध में सैनिकों को पर्याप्त भोजन खाने को मिला और एक भी दिन भोजन बर्बाद नहीं हुआ।

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