मकबरा-ए-संगी की जमीन हो सकती विवाद का कारण, 1121 हिजरी में बना…

मकबरा-ए-संगी की जमीन में 34 मकान बने हैं। मकान खाली कराने के लिए मकबरे के मुतवल्ली अब्दुल अजीज के नाम से वाद विचाराधीन है। मुकदमे के निर्णय के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
फतेहपुर जिले में आबूनगर रेड्डया के मकबरा-ए-संगी के विवाद के पीछे कहीं न कहीं 10 बीघे 18 बिस्वा जमीन हो सकती है। 30 दिसंबर 2010 में सिविल जज की अदालत ने असोथर निवासी रामनरेश का जमीन से स्वामित्व खत्म कर मकबरा-ए-संगी को स्वामित्व प्रदान करने का आदेश दिया। वर्ष 2012 में कोर्ट के आदेश पर मकबरे के नाम जमीन अंकित की गई। साथ ही कोर्ट ने मकबरा-ए-संगी को राष्ट्रीय संपत्ति दर्ज करने का आदेश भी पारित किया था।
प्रोफेसर डॉ. इस्माइल आजाद की फारसी में लिखी किताब तारीख-ए-फतेहपुर में मकबरा-ए-संगी आबूनगर रेड्डया का उल्लेख है। आबूनगर के उत्तर स्थित इस मकबरे के पत्थरों में फारसी में औरंगजेब के चकलेदार अब्दुल शमद खां और उसके बेटे अबू मोहम्मद खां के नाम अंकित है। मकबरे में दोनों की कब्र भी मौजूद हैं। इसका उल्लेख किताब में स्पष्ट है। इसके निर्माण का समय 1121 हिजरी (वर्ष 1710) अंकित है। किताब के अनुसार मकबरा का पूरा नाम मकबरा-ए-संगी है और ये पूरा पत्थर से बना है।
मानसिंह परिवार के नाम पर कर दी जमीन
इसीलिए इसे पाषाण मकबरा भी कहा जाता है। इसमें लगे दरवाजे के चौखट भी पत्थर से बने हैं। औरंगजेब ने अपने शासनकाल के 48वें साल अब्दुल शमद खां को चकलेदार बनाया था। जिम्मेदारी सौंपने के करीब एक साल बाद 1707 में उसकी मौत हो गई। इसके तीन साल बाद मकबरे का निर्माण कराया गया। आबूनगर रेड्डया के तत्कालीन गाटा संख्या 17650/753/765 का मामला अभिलेखों में गुम रहा। इसके बाद अंग्रेज शासनकाल समाप्ति के दौरान अंग्रेजों ने शहर की आधी से अधिक जमीन मानसिंह परिवार के नाम पर कर दी।
2012 में मकबरे के नाम पर अंकित की गई जमीन
30 दिसंबर 1970 को इस गाटा संख्या की जमीन का बैनामा असोथर निवासी रामनरेश सिंह ने शकुंतला मानसिंह पत्नी नरेश्वर मानसिंह से कराया। इसके बाद मुतवल्ली ने न्यायालय में परिवाद दर्ज किया। मामला मकबरा बनाम रामनरेश चला। 20 दिसंबर 2010 को सिविल जज ने 10 बीघा 18 बिस्वा जमीन मकबरा-ए-संगी आबूनगर के नाम आवंटित करने का फैसला किया। 2012 में यह जमीन मकबरे के नाम पर अंकित की गई। इसके साथ ही अदालत ने मकबरा-ए-संगी को राष्ट्रीय संपत्ति दर्ज करने का आदेश पारित किया था।
अभी भी वाद कोर्ट में विचाराधीन
मकबरा-ए-संगी की जमीन में 34 मकान बने हैं। मकान खाली कराने के लिए मकबरे के मुतवल्ली अब्दुल अजीज के नाम से वाद विचाराधीन है। मुकदमे के निर्णय के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
तनावग्रस्त इलाकों में घूम रही एसटीएफ
पहली बार जिले में किसी सांप्रदायिक मामले को लेकर एसटीएफ की लखनऊ इकाई के सदस्यों ने डेरा डाला है। खबर है कि बड़ी गोपनीय सूचना पर टीम को भेजा गया है। टीम पूरे मामले के साथ दोनों समुदायों की गतिविधियों की जानकारी भी जुटा रही है। वहीं एसटीएफ तनावग्रस्त इलाकों में सादी वर्दी में घूम रही है। वह लोगों से बात कर पल-पल के माहौल की जानकारी ले रही है।
पल-पल की रिपोर्ट शासन के पास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पल-पल की रिपोर्ट ले रहे हैं। हर गतिविधियों की जानकारी शासन स्तर तक अधिकारी दे रहे हैं। शासन इस मामले में अब कोई चूक नहीं चाहता है। अधिकारियों को सीधे सीएम कार्यालय से निर्देश मिल रहे हैं और वे भी हर जानकारी वहां तक पहुंचा रहे हैं।
सोशल मीडिया में टिप्पणियों की भरमार
मकबरे तक पहुंचने के लिए पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया। तोड़फोड़ के बाद दोनों तरफ से कई वीडियो वायरल किए जा रहे हैं। कई ग्रुप रातोंरात तैयार हुए। उसमें कई तरह की टिप्पणी की जा रही हैं। कई लोग माहौल बिगाड़ने की टिप्पणी कर रहे हैं। वहीं, कई लोग वीडियो व ऑडियो भी वायरल कर रहे हैं। प्रशासन की इसपर सख्त नजर बनाए है, हालांकि ये वीडियो लगातार प्रसारित हो रहे हैं।
पूरे मामले की जांच कर आईजी ने दर्ज किए बयान
आबूनगर में माहौल बिगाड़ने के मामले में पुलिस की कहां-कहां चूक रही, इसकी जांच प्रयागराज आईजी अजय मिश्रा ने शुरू की है। उन्होंने चौकी इंचार्ज से लेकर एसपी तक के बयान दर्ज किए हैं। शांति व्यवस्था की ड्यूटी पर तैनात कर्मियों से भी पूछताछ की जाएगी। बवाल के पीछे कौन है, इसका भी खुलासा होगा। शासन स्तर पर जांच रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर कई स्तर के अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
अब तक कोई गिरफ्तार नहीं
बवाल मामले में नामजद भाजपा नेता अभिषेक शुक्ला, आशीष त्रिवेदी, सपा से हटाए गए पप्पू सिंह चौहान, भाजयुमो नेता प्रसून तिवारी, सभासद रितिक पाल, विनय तिवारी, पुष्पराज पटेल, जिला पंचायत सदस्य अजय सिंह उर्फ रिंकू लोहारी, दलित समाज के नेता देवनाथ धाकड़े शामिल हैं। इनकी गिरफ्तारी के लिए सोमवार रात टीमों ने कमर कसी थी। हालांकि बाद में धरपकड़ की योजना को माहौल के मद्देनजर रोक दिया गया। टीमें मंगलवार रात धरपकड़ के लिए दबिश दे सकतीं हैं।