भोपाल में प्रदेश का पहला रेंडरिंग प्लांट शुरू, हर महीने 17 टन प्रोडक्शन

भोपाल के आदमपुर छावनी में प्रदेश का पहला रेंडरिंग प्लांट पूरी तरह शुरू हो चुका है। इसमें चिकन-मटन वेस्ट से पोल्ट्री और फिश फीड तैयार किया जा रहा है। 5 करोड़ रुपये की लागत से बने इस प्लांट से प्रति वर्ष लगभग 5 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।

राजधानी भोपाल के आदमपुर छावनी में प्रदेश का पहला रेंडरिंग प्लांट पूरी तरह शुरू हो चुका है। इसमें चिकन-मटन वेस्ट से पोल्ट्री और फिश फीड तैयार किया जा रहा है। 5 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस प्लांट से प्रति वर्ष लगभग 5 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होने और 50 से अधिक लोगों के लिए रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है। नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान में हर महीने लगभग 17 टन प्रोडक्शन हो रहा है। नगर निगम का दावा है कि मॉर्डन स्लॉटर हाऊस शुरू होने के बाद इसकी क्षमता 300 टन प्रोडक्शन हो जाएगी। पहले यह वेस्ट नगर निगम के लिए परेशानी था और ज्यादातर चिकन मटन बेचने वाले दुकानदार इसे नदी-तालाबों के किनारे फेंक देते थे।

शहर में 600 से अधिक चिकन मटन की दुकानें
गौरतलब है कि भोपाल शहर के अलग-अलग इलाकों में लगभग 600 से अधिक चिकन मटन की दुकानें हैं। इसके अलावा सड़क किनारे भी बड़ी संख्या में फिश बेची जाती है। इन जगहों से निकलने वाला वेस्ट अब नगर निगम के लिए कमाई का जरिया बन गया है। हाल ही में निगम ने आमदपुर छावनी में प्रदेश का पहला रेंडरिंग प्लांट लगभग 5 करोड़ की लागत से लगाया है। जिस पर अब प्रोडक्शन शुरू हो गया है। अभी प्लांट में छोटी दुकानों से चिकन-मटन वेस्ट आ रहा है। लेकिन जल्द ही इसका प्रोडक्शन 300 टन पहुंच जाएगा।

जाने कैसे हो रहा उपयोग
बीएमसी के अधिकारियों ने बताया कि शहर की सभी चिकन-मटन, फिश दुकानों से वेस्ट कलेक्शन कर प्लांट भेजा जाता है। प्लांट में पशु अपशिष्ट को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटते हैं। फिर इन टुकड़ों को गर्म करके सुखाया जाता है, ताकि नमी दूर की जा सके। इसके बाद बारीक पाउडर बनाया जाता है। इस पाउडर का उपयोग पोल्ट्री फार्म, फिश फार्म में चारे के रूप में किया जाता है।

प्रोजेक्ट की मुख्य बातें
उत्पादन क्षमता: इस संयंत्र में प्रतिदिन 25 टन तक कचरे को संसाधित करने की क्षमता है।

उत्पादकता: प्रत्येक किलो कच्चे कचरे से लगभग 450 ग्राम उपयोगी उत्पाद उत्पन्न होता है।

राजस्व: बीएमसी को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये की आय की उम्मीद है।

रोज़गार: इस प्लांट में पहले से ही लगभग 50-60 लोग कार्यरत हैं।

पर्यावरणीय प्रभाव: पशु अपशिष्ट का वैज्ञानिक निपटान प्रदूषण, दुर्गंध और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करता है और साथ ही शहरी स्वच्छता में सुधार करता है।

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