भारत के इस मंदिर में विराजमान हैं गणेश जी, चमत्कार सुनकर दूर-दूर से आते हैं भक्त

गणेश चतुर्थी का पर्व आते ही मुंबई शहर का माहौल देखने लायक होता है। ये पूरा शहर और भी ज्यादा भक्ति से भर जाता है। इस मौके पर लाेग अपने घरों में बप्पा के मूर्ति की स्थापना करते हैं। इसी आस्था के बीच एक ऐसा स्थान है, जहां हर दिन लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं और बप्पा का आशीर्वाद पाते हैं। ये जगह है मुंबई का फेमस सिद्धिविनायक मंदिर। ये मंदिर अपने आप में एक खास पहचान रखता है। आइए मंदिर से जुड़ी बातों को जानते हैं विस्तार से –

भगवान गणेश का महत्व
भगवान गणेश, जिन्हें सिद्धिविनायक भी कहा जाता है, विघ्नहर्ता और सफलता देने वाले माने जाते हैं। नए काम की शुरुआत हो, जीवन में कोई भी कठिनाइयां हों या फिर ज्ञान और बुद्धि की कामना हो, हर भक्त यहां आकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। यहां आकर जो भी सच्चे मन से अपनी कोई भी इच्छा बप्पा के सामने रखता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

क्या है इतिहास?
आपको बता दें कि सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में लक्स्मण विठू पाटिल और उनकी पत्नी देउबाई पाटिल ने कराया था। समय के साथ इसमें कई बार बदलाव हुए। आज ये एक भव्य मंदिर के रूप में सामने है। मंदिर की दीवारों, शिखरों और खंभों पर की गई सुंदर नक्काशी इसे और भी दिव्य बना देती है।

कैसा है मंदिर के अंदर का दृश्य?
सिद्धिविनायक मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है मानो हम शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की एक अलग ही दुनिया में आ गए हों। यहां भगवान गणेश जी मुख्य देवता के रूप में विराजमान हैं। प्रतिमा के चारों ओर फूलों, मालाओं और भक्तों द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद से सजावट की जाती है। श्री सिद्धिविनायक की मूर्ति एक ही काले पत्थर से बड़ी बारीकी से बनाई गई है। इसकी ऊंचाई करीब ढाई फीट और चौड़ाई दो फीट है।

प्रत‍िमा के हैं चार हाथ
वहीं गणेश जी की सूंड दाहिनी ओर मुड़ी हुई है, जो बहुत दुर्लभ मानी जाती है। इस प्रतिमा के चार हाथ हैं। ऊपरी दाहिने हाथ में कमल, ऊपरी बाएं हाथ में परशु (कुल्हाड़ी), निचले दाहिने हाथ में जपमाला और निचले बाएं हाथ में मोदक से भरा कटोरा है। ये सभी चीजें शुभता और आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती हैं।

माथे पर है तीसरी आंख
प्रतिमा पर एक खास चीज और देखने को मिलती है और वो है एक सर्प पवित्र जनेऊ की तरह बाएं कंधे से दाहिनी ओर पेट तक लिपटा हुआ है। ये मूर्ति की आध्यात्मिकता और आकर्षण को और बढ़ा देता है। इसके अलावा माथे पर एक दिव्य आंख है, जो भगवान शिव की तीसरी आंख की याद दिलाती है। ये दिव्य ज्ञान और अंतर्दृष्टि बिखेरती है।

लोगों ने क‍िए चमत्‍कार‍िक अनुभव
गणेश जी के दोनों ओर रिद्धि और सिद्धि देवी भी विराजमान हैं, जिन्हें समृद्धि और सफलता की प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि इस मंदिर को सिद्धिविनायक गणपति मंदिर कहा जाता है। यहां आकर कई भक्तों ने अपने जीवन में चमत्कारिक अनुभव भी शेयर किए हैं। हर दिन मंदिर में मंत्रोच्चारण और अगरबत्ती की खुशबू वातावरण को और भी पावन बना देती है।

समाजसेवा में योगदान
ये मंदिर केवल पूजा का स्थान ही नहीं, बल्कि समाज सेवा का केंद्र भी है। यहां से शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन और ठहरने जैसी सुविधाएं जरूरतमंदों तक पहुंचाई जाती हैं।

दर्शन और आरती का समय
मंदिर में रोजाना अलग-अलग समय पर आरती और दर्शन होते हैं। उनके बारे में भी जानें-
काकड़ आरती (सुबह की आरती): सुबह 5.30 बजे से 6.00 बजे तक
दैनिक दर्शन: सुबह 6.00 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक और दोपहर 12.30 बजे से शाम 7.00 बजे तक
धूप आरती: शाम 7.00 बजे
रात की आरती: 7.30 बजे से 8.00 बजे तक
शेज आरती (अंतिम आरती): रात 9.50 बजे
मंगलवार को यहां सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। खास मौकों जैसे विनायक चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, माघी गणेश जयंती और भाद्रपद गणेश चतुर्थी पर तो यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

मंदिर तक पहुंचने का रास्ता
सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई के प्रभादेवी इलाके में है। आप यहां एऐसे पहुंच सकते हैं-
रेल से: दादर रेलवे स्टेशन सबसे नजदीक है, जहां से मंदिर सिर्फ 15 मिनट की दूरी पर है। आप पैदल जा सकते हैं या टैक्सी/ऑटो ले सकते हैं।
बस से: बसें भी दादर और प्रभादेवी के लिए आसानी से मिल जाती हैं।
एंट्री गेट: मंदिर में दो गेट हैं सिद्धि गेट (फ्री एंट्री, भीड़ ज्यादा) और रिद्धि गेट (पेड एंट्री, लाइन छोटी)। बड़े-बुजुर्ग लोगों, दिव्यांगजनों, एनआरआई और प्रेग्नेंट महिलाओं या शिशु वाली माताओं के लिए यहां पर खास व्यवस्था है।

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