#बड़ी खबर: PM मोदी ने 42 करोड़ कामगारों को समर्पित की ये योजना, खुद को बताया मजदूर नंबर वन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वस्त्राल में प्रधानमंत्री श्रम योगी मान धन योजना का शुभारंभ किया। उन्होंने देश के 11 लाख 51 हजार लाभार्थियों तक 13.58 करोड़ रुपये की राशि पेंशन खातों में ट्रांसफर किया। इस अवसर पर जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना देश के 42 करोड़ कामगारों को समर्पित है। #बड़ी खबर: PM मोदी ने 42 करोड़ कामगारों को समर्पित की ये योजना, खुद को बताया मजदूर नंबर वन

उन्होंने देशभर के सभी कामगारों को बधाई देते हुए कहा कि हमारे वैसे साथी जो घरों में सेवक के रूप में काम कर रहे हैं, कबाड़ से आजीविका कमाते हैं, खेत मजदूरी कर रहे हैं, सड़कों-घरों के निर्माण में जुटे हैं, रेहड़ी-ठेले चलाते हैं, बुनकर हैं, ऐसे कामों से जुड़े सभी कामगार साथियों को बहुत बधाई। 

उन्होंने कहा कि मुझे एहसास है कि देश के करोड़ों गरीबों के मन में ये सवाल रहता था कि जब तक हाथ-पैर चलते हैं, तब तक तो काम भी मिल पाएगा, लेकिन जब शरीर कमजोर हो जाएगा तब क्या होगा? उम्र के उस पड़ाव में, जब आय का कोई साधन न हो, तो वो समय बहुत पीड़ादायक होता है। यही पीड़ा मेरे मन मस्तिष्क में थी। उसी पीड़ा में से इस योजना ने जन्म लिया है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आपके इस प्रधानसेवक की सरकार ने किसानों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक साथियों के लिए पहली फरवरी को दो बड़ी योजनाओं की घोषणा की थी। हमने पहले किसानों के खाते में पहली किश्त की राशि ट्रांसफर कर दी और आज साढ़े 11 लाख श्रमिक साथियों के खाते में साढ़े 13 करोड़ से ज्यादा की राशि ट्रांसफर की।

उन्होंने कहा कि आज बिचौलियों के हमदर्द परेशान हैं। इसलिए ये मोदी हटाओ-मोदी हटाओ चिल्ला रहे हैं, लेकिन आपके आशीर्वाद से ये चौकीदार अड़ा है और अपने इरादों पर खड़ा भी है।

कांग्रेस और वामदलों पर साधा निशाना

आजादी के बाद की यह ऐसी पहली योजना है, जिसने समाज के उस वर्ग को छुआ है, जिसके बारे में कभी सोचा ही नहीं गया। जिनको अपने नसीब पर, अपने भाग्य पर छोड़ दिया गया। गरीबी हटाने के नारे खूब लगाए गए,गरीबों के नाम पर वोट बटोरने वालों ने 55 साल तक देश में राज किया, लेकिन असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए कोई योजना नहीं बनाई।

कुछ लोग खुद को मजदूरों का मसीहा कहने लगे, कई राज्यों में कम्यूनिस्टों को सरकार बनाने का मौका मिला, लेकिन किसी ने उनके बारे में नहीं सोचा। जिनके लिए गरीबी सिर्फ फोटो खिचवाने का खेल होता है, जिसे कभी भूखे पेट सोने का दर्द नहीं पता उसके लिए गरीबी एक मानसिक अवस्था होती है। हमारे लिए तो गरीबी एक बहुत बड़ी चुनौती है। गरीबी से झूझने के लिए पूरा परिवार खप जाता है।

क्या है श्रम योगी मानधन योजना 

प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना दिहाड़ी और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को हर माह पेंशन देने की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना को देश के हर जिले में एक साथ शुरू किया जाएगा। इस योजना में वैसे तो 15 फरवरी को ही पंजीकरण शुरू हो गया है, लेकिन इसकी औपचारिक शुरुआत प्रधानमंत्री ने मंगलवार को की। 

ये होंगे इस योजना के लाभार्थी

फेरी लगा कर सामान बेचने वाले, रिक्शा-ठेला चलाने वाले, दिहाड़ी मजदूरी करने वाले, घरों में काम करने वाली जैसे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को 60 साल के बाद 3000 रुपये की मासिक पेंशन देने की योजना है। इस योजना की घोषणा बजट में की गई थी। वित्त मंत्रालय ने इसके लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

15000 से कम मासिक आय वालों को ही मिलेगा लाभ

प्रधानमंत्री पेंशन योजना के तहत 18 से 20 वर्ष के व्यक्ति का पेंशन खाता खोला जाएगा, बशर्ते उनकी मासिक आमदनी 15 हजार रुपये से ज्यादा न हो। इनमें मजदूरों को हर महीने एक निश्चित राशि का प्रीमियम देना होगा। जितना प्रीमियम होगा, उतने रुपये की सब्सिडी सरकार की तरफ से भी दी जाएगी।

अन्नपूर्णा धाम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में हुए शामिल 

मान धन योजना की शुरुआत करने से पहले प्रधानमंत्री ने गुजरात के गांधीनगर जिले के अडलाज कस्बे में नवनिर्मित अन्नपूर्णा धाम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी शामिल हुए। वहां उन्होंने कहा कि हाल में एक नया चलन देखने को मिला है जहां लोग हर काम सरकार द्वारा किए जाने की उम्मीद करते हैं। वे सरकार से उन कामों के भी जवाब मांगते हैं जो नहीं किए गए। ये हमारे देश की परंपरा नहीं थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य समाज को सशक्त बनाना है ताकि ज्यादा से ज्यादा सामाजिक कार्य किए जा सकें। 

प्रधानमंत्री ने पाटीदार समुदाय की उपजाति लेवा पटेल द्वारा बनाए गए मंदिर के उद्घाटन के बाद कहा कि हमारा प्रयास है कि राज्य को प्रशासनिक कार्य करना चाहिए और समाज को सशक्त बनाना चाहिए ताकि वह लोगों की बेहतरी के लिए ऐसे सामाजिक कार्य कर सके। सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में वह लेवा समुदाय ही था जिसने अमूल आंदोलन की शुरुआत की और गुजरात के गांवों की सभी जातियों एवं वर्गों के लोगों को फायदा पहुंचाया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button