ब्राह्मण बेटियों पर असभ्य टिप्पणी करने पर घिरे संतोष वर्मा, राज्य सेवा से IAS कैडर में आने पर भी सवाल

आरक्षण के लिए ब्राह्मण बेटियों पर असभ्य टिप्पणी करके घिरे मध्य प्रदेश में उपसचिव स्तर के आइएएस अधिकारी और अनुसूचित जाति, जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) के प्रांताध्यक्ष संतोष वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जातिगत टिप्पणी को सेवा आचरण नियमावली के विपरीत मानकर शासन ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

आरक्षण के लिए ब्राह्मण बेटियों पर असभ्य टिप्पणी करके घिरे मध्य प्रदेश में उपसचिव स्तर के आइएएस अधिकारी और अनुसूचित जाति, जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) के प्रांताध्यक्ष संतोष वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जातिगत टिप्पणी को सेवा आचरण नियमावली के विपरीत मानकर शासन ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

राज्य सेवा से आइएएस संवर्ग में पदोन्नति पर भी सवाल उठे

इस बीच, उनकी राज्य सेवा से आइएएस संवर्ग में पदोन्नति पर भी सवाल उठे हैं। दरअसल, संतोष पर इंदौर में एक महिला ने शारीरिक शोषण की एफआइआर दर्ज कराई थी। इसके बाद पदोन्नति के लिए संतोष ने प्रकरण खारिज होने संबंधी इंदौर न्यायालय के निर्णय का एक आदेश शासन में प्रस्तुत किया, वह फर्जी पाया गया।

संतोष चार माह जेल में रहे

इसके बाद धोखाधड़ी की एफआइआर दर्ज हुई और वह चार माह जेल में रहने के बाद जमानत पर छूटे। मामला अभी हाई कोर्ट में विचाराधीन है। इसमें फर्जीवाड़ा प्रमाणित होने पर आइएएस संवर्ग छिन भी सकता है।

उधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक गोपाल भार्गव ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से संतोष को आइएएस संवर्ग में पदोन्नति की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।

संतोष वर्मा को 2021 में आइएएस में पदोन्नत करने का निर्णय हुआ

राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संतोष वर्मा को 2021 में आइएएस में पदोन्नत करने का निर्णय हुआ। उनको लेकर जब संघ लोक सेवा आयोग ने विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक की, तब सामान्य प्रशासन विभाग ने संनिष्ठा प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया।

इसके बाद समिति ने उन्हें प्रविधिक सूची में रखा। यह एक वर्ष के लिए मान्य रहती है। चार माह बाद उन्होंने न्यायालय का आदेश प्रस्तुत किया, जिसका सत्यापन इंदौर पुलिस से कराया गया।

चूंकि, उस आदेश को लेकर कोई सवाल नहीं उठे थे, इसलिए पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर संनिष्ठा प्रमाण-पत्र जारी कर केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय और संघ लोक सेवा आयोग को भेजा गया। इसके कारण उन्हें पदोन्नत कर दिया गया।

उधर, शिकायतकर्ता महिला ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के साथ सामान्य प्रशासन विभाग में शिकायत की कि न्यायालय का आदेश फर्जी है। जब इसे जांच के लिए भेजा गया तो वह फर्जी पाया गया।

पुलिस ने फर्जीवाड़े का प्रकरण दर्ज कर लिया। उन्हें जेल भेजा गया, जिसके आधार पर विभाग ने निलंबित कर दिया। वह जमानत पर छूटे तो बहाली को लेकर प्रशासनिक अधिकरण में याचिका दायर कर दी। यहां से उन्हें राहत मिली और निलंबन आदेश निरस्त कर दिया गया, लेकिन प्रकरण हाई कोर्ट में विचाराधीन है।

आइएएस गरिमापूर्ण सेवा, इसमें ऐसा व्यक्ति नहीं होना चाहिए

वरिष्ठ भाजपा नेता गोपाल भार्गव का कहना है कि संतोष वर्मा ने जो बयान दिया गया, वह न केवल अशोभनीय है बल्कि भारतीय प्रशासनिक सेवा को कलंकित करने वाला है। आइएएस गरिमापूर्ण सेवा है। इसमें इस तरह का व्यक्ति होना ही नहीं चाहिए, जिसका सोच इस स्तर का हो। यह आइएएस संवर्ग में कैसे पदोन्नत हो गया, यह बड़ा सवाल है।

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