बौखलाए ‘ड्रैगन’ का हिंदुस्तान पर ‘साइलेंट हमला’…अब देखो पीएम मोदी का रौद्र रूप !
चीन किस तरह की चालाकी कर रहा है, ये बात तो आप अच्छी तरह से जानते होंगे। दक्षिण और एशियाई देशों में चीन लगातार अपना जाल बिझा रहा है। चीन की प्लानिंग है कि दूसरे मुल्कों के जरिए भारत को घेरने की रणनीति तैयार की जाए। ऐसे में पीएम मोदी की भी चीन की हर चाल पर नजर है। माना जा रहा है कि चीन को कड़ा जवाब देने के लिए भारत सरकार अब एक्शन प्लान तैयार कर रही है। जिन मुल्कों में चीन अपना दबदबा बढ़ा रहा है, उन मुल्कों में भारत लगातार एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत काम कर रहा है। माना जा रहा है कि अब भारत भी चीन को जवाब देने के लिए पूरी तैयारी कर रहा है। जिन मुल्कों में चीन अपना बिजनेस बढ़ाने की तैयारी कर रहा है, उन मुल्को में भारत पिछले तीन से इंफ्रास्ट्रक्चर और बाकी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।
अब एक्सपर्ट्स का कहना है कि ‘वन बेल्ट, वन रोड’ यानी OBOR प्रोजेक्ट को ध्यान में रखकर चीन भी इन मुल्कों में इनवेस्ट कर रहा है। ऐसे में बताया जा रहा है कि आने वाले वक्त में भारी आर्थिक अस्थिरता वाला माहौल पनप सकता है। दरअसल चीन की चाल ये है कि भारत जिन मुल्को में निवेश कर रहा है, उन मुल्कों में और ज्यादा निवेश किया जाए और उन मुल्कों की सरकार का खुद पर भरोसा बढ़ाया जाए। चीन जिस तरीके से इनवेस्टमेंट कर रहा है, उसका मकसद रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाना है और खास बात ये है कि ड्रैगन अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है । चीन की तरफ से 14 और15 मई को OBOR पर एक मीटिंग आयोजित की जानी है। इस मीटिंग में लाओस, कंबोडिया, म्यांमार और इंडोनेशिया जैसे देश हिस्सा लेने जा रहे हैं।
ये भी पढ़े: ISRO आज लॉन्च करेगा सैटेलाइट, 6 देशों को मिलेगी कम्युनिकेशन फैसिलिटी
हालांकि कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में वियतनाम हिस्सा नहीं लेगा क्योंकि वियतनाम के चीन के साथ संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। एक रिपोर्ट कहती है कि चीन दक्षिणपूर्ण एशियाई देशों में बड़ा इनवेस्टमेंट करना चाहता है। हालांकि चीन के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये मुल्क इनवेस्टमेंट तो लेंगे, लेकिन राजनीतिक और सुरक्षा जरूरतों को पूरा नहीं करेंगे। ये वो मुल्क हैं जिनके लिए भार एक्ट ईस्ट पॉलिसी की तहत काम कर रहा है और इनसे अपनी दोस्ती और मजबूत करना चाहता है। चीन भी भारत के हर प्लान पर नजर बनाए हुए है और इन मुल्कों के बीच अपनी दावेदारी मजबूत करना चाहता है। एक तरफ साउथ चाइना सी को लेकर चीन लगातार विवादों में है और दूसरी तरह अब वो नए विवाद को जन्म दे रहा है।
कहा जा रहा है कि चीन को ये चालाकी खुद ही भारी पड़ सकती है। जिन मुल्कों को वो अपने क्लब में शामिल करने की सोच रहा है, उन मुल्कों में से कई ऐसे मुल्क हैं, जो भारत से पहले ही हाथ मिला चुके हैं। सूत्रों का मानना है कि ये मुल्क चीन की इस चाल को खुद पर किसी भी हाल में हावी नहीं होने देना चाहते। हालांकि इस कबीच कंबोडिया पर चीन का बड़ा आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव है। ऐसे में ये मुल्क अपने विचारों को बाकी मुल्कों से थोड़ा अलग रख सकता है। तो कुल मिलाकर कहें तो पीएम मोदी के पास अगला विकल्प ये है कि वो इन तमाम मुल्कों को साधने के अगले प्लान पर विचार करें। इस वक्त चीन लगातार चालें चल रहा है कि और भारत के लिए ये बड़ा खतरा साबित हो सकता है। देखना है कि आगे क्या होता है।