बागी-2 में दमदार एक्शन, क्या टाइगर का फिर चलेगा जादू?
फिल्म का नाम: बागी-2
डायरेक्टर: अहमद खान
स्टारकास्ट: टाइगर श्रॉफ, दिशा पाटनी, मनोज बाजपेयी, रणदीप हुड्डा, प्रतीक बब्बर, दीपक डोबरियाल
अवधि: 2 घंटा 24 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 3 स्टार
अहमद खान ने 2004 में लकीर और 2007 में फुल एंड फाइनल जैसी फिल्में डायरेक्ट की थी. अब लगभग 11 साल के बाद उनके डायरेक्शन में फिल्म बागी-2 रिलीज हुई है. पहली वाली बागी को दर्शकों का बहुत प्यार मिला था. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिजनेस भी किया था. बागी-2 तेलुगु फिल्म क्षणम की हिंदी रीमेक है. क्षणम ने साउथ में तगड़ा बिजनेस किया था, जिसे देखते हुए इसका हिंदी रीमेक बनाने का फैसला हुआ. आखिर कैसी बनी है यह फिल्म, आइए समीक्षा करते हैं…
कहानी
फिल्म की कहानी रॉनी (टाइगर श्रॉफ) और नेहा (दिशा पाटनी) की है. रॉनी ने आर्मी ज्वॉइन कर ली है और किन्हीं कारणों से उसे नेहा के कहने पर गोवा वापस आना पड़ता है. नेहा की जानने वाली रिया नामक लड़की को किडनैप कर लिया जाता है. इस मामले की शिनाख्त में रॉनी की मुलाकात उस्मान भाई (दीपक डोबरियाल), डीआईजी शेरगिल (मनोज बाजपेयी), एलएसडी रणदीप हुड्डा से सिलसिलेवार घटनाओं के बीच होती है. कहानी में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं जिसमें शेखर (दर्शन कुमार), सनी (प्रतीक बब्बर) की भी एंट्री होती है. क्या अंत में रिया मिल पाती है या नहीं? क्लाइमेक्स में क्या होता है? इसके बारे में आपको थिएटर जाकर ही पता चल पाएगा.
आखिर क्यों देख सकते हैं फिल्म
फिल्म की सबसे लाजवाब बात इसका बेहतरीन एक्शन और संवाद है. मनोज बाजपेयी, रणदीप हुड्डा की मौजूदगी फिल्म को और निखारती है. रणदीप हुड्डा का स्टाइल और मनोज बाजपेयी का सरप्राइज़ कहानी में दिलचस्पी बनाकर रखता है. फिल्म के एक्शन की कोरियोग्राफी, डायरेक्शन और सिनेमेटोग्राफी बहुत बढ़िया है. इसे टाइगर श्रॉफ की अब तक की बेस्ट परफॉर्मेंस कही जा सकती है. दीपक डोबरियाल ने जिस तरह से एक हैदराबादी किरदार को निभाया है वह काबिले तारीफ है. दर्शन कुमार और दिशा पाटनी ने भी ठीक-ठाक काम किया है. समय-समय पर आने वाले आतिफ असलम के गाने कहानी को दिलचस्प बनाते हैं. कई ऐसे मूमेंट आते हैं जब सीटियों और तालियों के साथ-साथ आपके चेहरे पर मुस्कान भी आती है. मुंडिया तू बचके रही वाला गीत काफी बढ़िया बन पड़ा है.
कमजोर कड़ियां
फिल्म की कमजोर कड़ी प्रेडिक्टेबल कहानी और लंबाई है. शार्प एडिटिंग की जाती तो यह और भी ज्यादा क्रिस्प होती. इसके साथ ही फिल्म का क्लाइमेक्स और भी बेहतर हो सकता था. गाने थोड़े और बेहतर हो सकते थे.