बस सफर करने वाले यात्रियों के लिए नई मुसीबत, जालंधर, लुधियाना, अमृतसर…

किलोमीटर स्कीम की बसों का विरोध करते हुए हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को अब अपनी नौकरी की चिंता सताने लगी है। पंजाब के विभिन्न जिलों में सैंकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से सस्पैंड किया जा चुका है, जिसमें जालंधर के दोनों डिपुओं के दर्जनों कर्मचारी शामिल हैं। यूनियन का कहना है कि जेलों में बंद साथियों की रिहाई व नौकरी की बहाली तक बसों का चक्का जाम जारी रहेगा और हड़ताल नहीं खुलेगी।

मंगलवार को हड़ताल के 5वें दिन यात्रियों की परेशानी बदस्तूर जारी रही। सरकार व यूनियन के बीच चल रही वार्ता का कोई सार्थक परिणाम न निकलने के चलते यूनियन द्वारा बसों का परिचालन नहीं किया गया। इसके चलते यात्रियों को भारी दिक्कतें व परेशानियां उठाने को मजबूर होना पड़ रहा है। यूनियन का कहना है कि सरकार अपने वायदे से मुकर रही है और उनपर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। बस अड्डे की बात की जाए तो दूसरे राज्यों से आने वाली व प्राइवेट बसों में भारी रश होने के चलते बैठने के लिए सीटें मिलना बेहद मुश्किल हो रहा है। पिछले स्टेशनों से भरकर आने वाली बसों में खड़े होने को भी जगह बनाना परेशानी से कम नहीं है, इसके चलते कई यात्री बस अड्डे से वापस घरों को लौट गए। खासतौर पर दूसरे राज्यों में जाने वाले यात्रियों की दिक्कतें सबसे अधिक नजर आ रही है। हरियाणा व हिमाचल से आने वाली बसों नाममात्र होने के चलते यात्रियों की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही।

यूनियन का कहना है कि रविवार को विभागीय मंत्री के साथ हुई मीटिंग में कई बातों पर सहमति बनी थी, लेकिन कोई भी बात पूरी नहीं हुई जिसके चलते बसों का चक्का जाम रहेगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न यूनियन कर्मचारियों को जेलों में बंद किया गया है, जिन्हें बिना शर्त रिहा किया जाए। वहीं, नौकरी से सस्पैंड किए गए कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से रूटों पर भेजने की बात पर बसें चलाने को हामी भरी जा सकती है। अब देखना होगा कि आगे बसों के परिचालन संबंधी क्या निर्णय होता है, क्योंकि जेलों में विभिन्न धाराओं के तहत बंद किए यूनियन नेताओं की रिहाई कैसे होगी, यह बड़ा सवाल है।

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