चुनाव आयोग ने कहा:- बजट में चुनावी राज्यों को लेकर ना हो राजनीत

चुनाव आयोग ने अपने आदेश में ये भी साफ किया है कि सरकार इन पांच राज्यों में अपनी नीतियों और उपलब्धियों का बखान बजट भाषण में नहीं करेगी, क्योंकि ऐसा करने से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की भावना पर असर पड़ेगा।चुनाव आयोग ने कहा:- बजट में चुनावी राज्यों को लेकर ना हो राजनीतपंजाब, यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा राज्यों में 4 फरवरी से 8 मार्च के बीच विधानसभा चुनाव होने हैं. वहीं केंद्र की बीजेपी नीत सरकार 1 फरवरी को आम बजट पेश करने जा रही है। ऐसे में कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों ने आयोग से इस बाबत शिकायत की थी और बजट की तारीख़ आगे बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इन दलों की दलील थी कि मतदान से पहले बजट भाषण से जनता पर सत्ताधारी दल असर डालने की कोशिश करेगा।

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लिहाज़ा वामपंथी, समाजवादी, जनता दल सहित 13 विपक्षी दलों ने कांग्रेस की अगुआई में चुनाव आयोग से मांग की थी कि वह मोदी सरकार को 11 मार्च के बाद बजट पेश करने को कहे। इस संबंध में कांग्रेस ने पिछली यूपीए सरकार के दौरान 2012 में बजट आगे बढ़ाने की दलील भी दी गई थी।

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हालांकि चुनाव आयोग ने सरकार को बजट पेश करने से तो नहीं रोका, अलबत्ता विपक्ष की चिंता से सरोकार जताते हुए हिदायत ज़रूर दे दी है। आयोग ने कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा से कहा, निष्पक्ष व स्वतंत्र चुनावों के लिए और सभी के लिए सामान स्थिति समान बनाए रखते हुए आम बजट में ऐसी किसी राज्य-केंद्रित योजना की घोषणा नहीं की जाए, जिससे चुनाव वाले पांच राज्यों के मतदाताओं पर सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में असर पड़ने की संभावना हो।

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 विधानसभा चुनावों से पहले बजट पेश किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई थी। हालांकि कोर्ट ने सोमवार यह याचिका खारिज कर दी थी।
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