बच्चों के दिमाग को तेज बनाने में पेरेंट्स की इन 3 आदतों का है बड़ा हाथ!

तेज दिमाग का सीक्रेट आपके बच्चे के महंगे खिलौनों या कोचिंग क्लासेस में नहीं बल्कि आपकी अपनी आदतों में छिपा है। जी हां पेरेंट्स की कुछ छोटी-छोटी आदतें बच्चों के दिमाग को सुपरचार्ज कर सकती हैं। यकीन नहीं होता? आइए जानते हैं कौन-सी हैं वो 3 आदतें जो आपके बच्चों की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती हैं।

क्या आप भी चाहते हैं कि आपका बच्चा सिर्फ पढ़ने में ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में अव्वल रहे? उसका दिमाग तेज चले, नई चीजें सीखने में उसकी रुचि बढ़े और वह समस्याओं को आसानी से हल कर पाए? अगर हां, तो आपको यह जानकर खुशी होगी कि इसमें आपकी कुछ आदतें बहुत बड़ा रोल निभा सकती हैं। जी हां, माता-पिता की कुछ खास आदतें बच्चों के दिमागी विकास को जबरदस्त बढ़ावा देती हैं। आइए जानते हैं कौन सी हैं वो 3 आदतें और देखिए, क्या आप भी इनमें शामिल हैं?

उनके सवालों को गंभीरता से लेना
बच्चे जिज्ञासु होते हैं। वे हर चीज के बारे में जानना चाहते हैं और लगातार सवाल पूछते रहते हैं- “यह क्या है?”, “यह क्यों होता है?”, “आप ऐसा क्यों कर रहे हो?”। कई बार हम व्यस्तता या थकान के कारण उनके सवालों को टाल देते हैं या अधूरा जवाब देते हैं। लेकिन, यहीं हम गलती कर देते हैं!

जब भी बच्चा कोई सवाल पूछे, उसे गंभीरता से लें। भले ही सवाल कितना भी छोटा क्यों न हो, उसे आसान भाषा में समझाएं। अगर आपको जवाब नहीं पता, तो ईमानदारी से कहें, “मुझे अभी इसका जवाब नहीं पता, चलो मिलकर ढूंढते हैं!”। साथ में जवाब ढूंढना, उन्हें सिर्फ जानकारी ही नहीं देगा, बल्कि सीखने की प्रक्रिया को भी मजेदार बना देगा। यह आदत बच्चों में जिज्ञासा और तार्किक सोच को बढ़ाती है।

रोज उनसे बातचीत करना
आजकल गैजेट्स के दौर में परिवारों में बातचीत कम होती जा रही है, लेकिन बच्चों के दिमागी विकास के लिए रोज उनसे खुलकर बात करना बेहद जरूरी है। इसमें सिर्फ पढ़ाई की बातें नहीं, बल्कि उनके दिन भर की एक्टिविटीज, उनकी भावनाएं और उनके दोस्त भी शामिल होने चाहिए।

दिन का कुछ समय सिर्फ बच्चों के लिए निकालें। रात के खाने के वक्त या सोने से पहले उनसे पूछें, “आज तुम्हारा दिन कैसा रहा?”, “स्कूल में क्या नया सीखा?”, “तुम्हें आज सबसे अच्छा क्या लगा?”। सिर्फ पूछें ही नहीं, उनकी बातों को ध्यान से सुनें भी। उन्हें अपनी बात पूरी कहने का मौका दें, भले ही वह आपको कितनी भी छोटी लगे। यह आदत बच्चों में भाषा कौशल, संवाद क्षमता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता को मजबूत करती है। जब बच्चे अपनी बात खुलकर कह पाते हैं, तो उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

खेल-कूद को बढ़ावा देना
आजकल माता-पिता अपने बच्चों को सिर्फ किताबों तक ही सीमित रखना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि जितना ज्यादा पढ़ेंगे, उतना ही दिमाग तेज होगा। जबकि, फिजिकल एक्टिविटीज और रचनात्मक खेल भी दिमाग के विकास के लिए उतने ही जरूरी हैं।

बच्चों को सिर्फ टीवी या मोबाइल पर चिपके रहने न दें। उन्हें बाहर खेलने-कूदने के लिए मोटिवेट करें। दौड़ना, कूदना, साइकिल चलाने जैसी एक्टिविटीज उनके शारीरिक विकास के साथ-साथ दिमागी फुर्ती को भी बढ़ाती हैं। इसके अलावा, उन्हें पेंटिंग, क्ले मॉडलिंग, बिल्डिंग ब्लॉक्स या पहेलियां सुलझाने जैसी क्रिएटिव चीजों में भी शामिल कर सकते हैं।

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