बच्चो में इन करने से बढ़ रही है डायबिटीज की समस्या

बड़ों के साथ-साथ डायबिटीज की बीमारी बच्‍चों को भी अपनी गिरफ्त में लेने लगा हैं। बच्‍चों में होने वाले डायब‍िटीज को टाइप 1 भी कहा जाता है। खाने-पीने से जुड़ी ख़राब आदतें इस बीमारी के होने का मुख्य कारण होता है। समय रहते कुछ लक्षणों पर गौर करके आप इस बीमारी का पता लगा सकते हैं और इस बीमारी का न‍िदान भी करवा सकते हैं। आइए जानते हैं बच्‍चों में डायबिटीज के मुख्‍य लक्षण

ऑवरईटिंग कार्बोहाइड्रेट के अधिक सेवन से यह शरीर में फैट के रूप में जमा हो सकता है। इसके अलावा शुगर, चॉकलेट और मिठाई आदि से पैन्क्रीऐटिक ग्लैंड पर भार बढ़ता है। जिस वजह से इंसुलिन सेल्स के क्रमिक थकावट से डायबिटीज हो जाता है।
जेनेटिक बच्चे को डायबिटीज होना जेनेटिक कारण भी है। अगर पेरेंट्स में किसी को डायबिटीज है, तो बच्चा इस बीमारी के साथ पैदा हो सकता है या उसे 25 से 50 वर्ष की उम्र में इसका खतरा हो सकता है।

वायरल इन्फेक्शन कुछ वायरल इन्फेक्शन से टाइप 1 डायबिटीज का खतरा हो सकता है क्योंकि वे इंसुलिन सेल्स को नष्ट कर देते हैं। हालांकि यह डायबिटीज का आम कारण नहीं है।

लगातार ठंड ज्‍यादा ठंड में रहने से इम्यून सिस्टम लड़ने के लिए एंटीबॉयटिक का उत्पादन करता है। इस वजह से ज्‍यादात्तर एंटीबॉयटिक ठंड को नष्ट करने के लिए खत्म हो जाते है इससे इंसुलिन कम होता है और डायबिटीज का खतरा होता है।
फिजिकल एक्टिविटी की कमी फिजिकल एक्टिविटी की कमी कि कारण इंसुलिन उत्पादन करने वाली सेल्स प्रभावित हो सकती हैं। इससे ब्लड शुगर लेवल प्रभावित हो सकता है जिससे डायबिटीज का खतरा होता है।

 

– बच्चों को आमतौर पर थकान,

– सिर में दर्द, ज्यादा प्यास लगने,

– ज्यादा भूख लगने,

– व्यवहार में बदलाव,

– पेट में दर्द,

– बेवजह वजन कम होने, खासतौर पर रात के समय बार-बार पेशाब आने,

– यौन अंगों के आस-पास खुजली होने पर उनमें मधुमेह के लक्षणों को पहचाना जा सकता है।

इन लक्षणों से डायबिटीज का पता लगाकर इसका इलाज किया जा सकता है।

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