बचपन की सहेली से मिलने पांच दशक तक नैनीताल आती रहीं शीला दीक्षित…!!!!!

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री शीला दीक्षित का नैनीताल से पांच दशक तक रिश्ता बना रहा। इस दौरान वह कई बार नैनीताल आईं। उनका कहना था कि नैनीताल आकर उन्हें सुकून मिलता है। एक तरफ तनाव से मुक्ति मिलती है और दूसरी ओर वह अपनी बचपन की सहेली से मिल पाती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह कई दिन तक नैनीताल में रहकर यहां की वादियों की सैर किया करती थीं।

नैनीताल में रहने वालीं कुमकुम नंदा उनकी बचपन की सहेली थीं। दोनों की मित्रता लगभग 65 साल पुरानी थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि बीते 50 साल से वह नैनीताल आती रहीं थीं। यहां के अधिकांश पर्यटन स्थलों पर वह जाया करतीं थीं। गुड़गांव निवासी कुमकुम नंदा के बेटे कवीस नंदा ने बताया कि उनका नैनीताल में प्रिंस नामक होटल हुआ करता था।

शीला दीक्षित अक्सर उनकी मां से मिलने के लिए नैनीताल आती रहतीं थीं। 2016 में नंदा परिवार गुड़गांव में जाकर बस गया। उन्होंने नैनीताल स्थित अपना होटल बेच दिया। शीला उनकी मां के साथ दिल्ली में मिरानड़ा हाउस कॉलेज में पढ़ा करती थीं। बाद में उनकी मां नैनीताल आ गईं। इसके बाद शीला दीक्षित का यहां भी आना जाना होने लगा।

आखिरी बार शीला दीक्षित उनके पिता के निधन पर मई 2015 में नैनीताल आईं थीं और चार दिन तक यहां रुकीं थी। 2019 में लोक सभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित उनके गुड़गांव स्थित आवास पर आईं थीं। नैनीताल आने के दौरान शीला दीक्षित का नगर में रहने वाले कांग्रेस के पूर्व नगराध्यक्ष मारुति साह के घर भी आना जाना था। वह कई बार नगर अध्यक्ष के घर आईं थी।
नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा ह्रदयेश ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और केरल की राज्यपाल रही शीला दीक्षित के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित के निधन से कांग्रेस और देश को अपूर्णनीय क्षति हुई है। देश की राजधानी दिल्ली को संवारने का श्रेय उन्होंने शीला दीक्षित को दिया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दिल्ली में ओवर ब्रिज और सड़कों का जाल बिछाकर देश के राजनीतिज्ञों को यह संदेश दिया कि किस प्रकार सुनियोजित विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके शीला दीक्षित के साथ लंबे समय तक पारिवारिक संबंध रहे और वह हमेशा ही उनसे सीख लेती रही।