अगर ऐसा ही रहा, तो बहुत जल्द फिल्मकार भी किसानों की तरह करने लगेंगे आत्महत्या

उनका मानना है कि अगर मामला ऐसे ही चलता रहा तो फिर फिल्मकार भी किसानों की तरह आत्महत्या करना शुरू कर देंगे। साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों पर आधारित फिल्म ‘मुजफ्फरनगर : द बर्निग लव’ 17 नवंबर को रिलीज होने जा रही है।

ये भी पढ़ें: पहली बार होगा एलियन के साथ संपर्क, अब अंतरिक्ष महाशक्ति बनाने को तैयार है चीन

हरीश ने बताया कि ‘एक किसान बिना बारिश और सरकारी सहायता के आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है। बिल्कुल ऐसा ही फिल्म उद्योग में फिल्मकारों के साथ हो रहा है। किसी को भी फिल्म बनाने या सेंसर बोर्ड से हरी झंडी मिलने या प्रचार के दौरान कोई समस्या नहीं थी।’ उन्होंने कहा कि ‘लेकिन, बात जब फिल्म की रिलीज की आई तो असामाजिक तत्व रचनात्मक मीडिया को दबाने के लिए आगे आ गए। फिल्मकारों के पास आत्महत्या करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। मैं भी ऐसा ही महसूस कर रहा हूं।’

संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ का हवाला देते हुए हरीश ने कहा कि फिल्मकारों को आसानी से निशाने पर लिया जा सकता है और हमेशा से लिए जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह फिल्मकार ही हैं जिनमें सांप्रदायिक दंगों के बुरे प्रभाव को दिखाने की हिम्मत होती है..यह कला है और इसे इसी नजर से देखा जाना चाहिए। सेंसर बोर्ड ने फिल्म देखा और अगर कुछ गलत होता तो वे इसे रोक देते। यह कौन लोग हैं जो फिल्म की रिलीज रोकना चाह रहे हैं? फिर सेंसर बोर्ड के होने का अर्थ ही क्या रह जाता है?

ये भी पढ़ें: ब्रेकअप के दर्द से खुद को उभारें और ऐसे करें एक नए रिश्ते की शुरुआत

मुजफ्फरनगर में फिल्म की रिलीज को लकेर आ रही दिक्कतों के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसी अटकलें हैं कि कुछ लोग फिल्म को ‘प्रतिबंधित’ कराने की कोशिश कर रहे हैं। अगर यह वहां रिलीज होती है तो फिर दिक्कत होगी। उन्होंने बताया कि ‘इससे पहले पोस्टर और स्टैंडी भेजे गए थे, लेकिन थिएटर मालिक हिचकिचा रहे हैं। हालांकि, किसी ने खुलेआम इन बातों को स्वीकार नहीं किया है, लेकिन मुझे बताया गया है कि उन्हें मेरी फिल्म नहीं दिखाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button