प्रभु श्रीराम के स्वागत की तैयारी…मिथिला नगरी में उल्लास

उत्तर भारत की ऐतिहासिक राम बरात बुधवार को गली मन:कामेश्वर से निकलेगी। यात्रा को भव्य रूप देने के लिए एक ओर रामलीला कमेटी के पदाधिकारी जुटे हैं, तो वहीं जन-जन के आराध्य राम की अगवानी के लिए मिथिला नगरी में उल्लास नजर आ रहा है। पूरे जनकपुरी क्षेत्र को आकर्षक झांकियों और बिजली की झालरों से सजाया गया है। राम बरात में इस बार 110 झांकियां आकर्षण का केंद्र बनेंगी। पूरे मार्ग में दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए चलित प्याऊ का भी इंतजाम किया गया है।
148 साल पुरानी रामलीला में बुधवार को प्रभु श्रीराम की बरात का आयोजन होगा। बरात को दिव्य के साथ भव्य रूप देने के लिए श्री रामलीला महोत्सव कमेटी कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भगवान राम जिस रथ पर सवार होकर मिथिला नगरी पहुंचेंगे, उसे बंगाल के कारीगर पिछले एक महीने से तैयार कर रहे हैं। बरात में सबसे आगे प्रथम पूज्य गणपति की झांकी होगी।
वहीं चांदी के रथ पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी के स्वरूप भी शामिल होंगे। इस बार बरात में 110 झांकियां और 11 बैंड को शामिल किया गया है जिसमें 12 ज्योर्तिलिंग समेत तीर्थ स्थान, राधा-कृष्ण, भोलेनाथ, शिव परिवार के अलावा सामाजिक संदेश, समरसता, देश की अखंडता की झांकियां होंगी। ऑपरेशन सिंदूर की झांकी इस बार रामलीला में आकर्षण का विशेष केंद्र होगी।
इसके अलावा यंत्र चलित हाथी भी यात्रा का आकर्षण रहेगा। दोपहर 2 बजे से ही झांकियों का निकलना शुरू हो जाएगा। प्रभु राम समेत चारों भाई, महाराजा दशरथ और मुनि वशिष्ठ समेत परिजन के साथ बरात की निकासी शाम 6 बजे लाला चन्नोमल की बारादरी, गली मन:कामेश्वर से होगी।
10 हजार से एक करोड़ तक पहुंचा खर्च
रामलीला कमेटी, करीब महीने भर तक चलने वाले इस आयोजन को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। समिति के सदस्य और सहयोगी आपस में ही सहयोग राशि इकट्ठा कर आयोजन करते हैं। 1885 में शुरू हुई रामलीला में साल 1940 में 10 हजार रुपये पूरे आयोजन पर खर्च हुए थे। समय के साथ सहयोगियों और सहयोग राशि बढ़ती गई और अब पूरी रामलीला के आयोजन में करीब एक करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इसके अलावा स्वरूपों की अगवानी, स्वागत, दावत आदि में भी करीब-करीब 50 लाख रुपये अतिरिक्त खर्च हो जाते हैं। सबसे खास बात यह है कि लोग श्रद्धा से खुद साल-दर साल सहयोग करते आ रहे हैं।
भगवान के स्वरूप नहीं करेंगे सड़क पर अभिनय
श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने बाताया कि इस बार पूरी यात्रा में किसी भी अखाड़े के भगवान के स्वरूप सड़क पर अभिनय नहीं करेंगे। ये हमारे अराध्य हैं और इनका ऐसा प्रदर्शन मर्यादा के अनुकूल नहीं है। लिहाजा कमेटी ने निर्णय लिया कि भगवान के स्वरूप और झांकियां ही रखी जाएंगी। देशभक्ति और सामाजिक संदेश देने वाली कई झांकियां आकर्षण का केंद्र बनेंगी। समय का विशेष ध्यान रखते हुए दोपहर 2 बजे से ही झांकियों का निकलना शुरू हो जाएगा।
लाला कोकामल के प्रयासों को बढ़ा रहे आगे
श्रीरामलीला कमेटी के महामंत्री राजीव अग्रवाल ने कहा कि साल 1908 में श्री रामलीला कमेटी का आधिकारिक गठन हुआ और लाला चन्नोमल इसके पहले अध्यक्ष बने। करीब 58 साल तक (1966 तक) वह इस कमेटी के अध्यक्ष रहे। रामलीला को भव्यतम स्वरूप देने का श्रेय लाला कोकामल को ही जाता है। कमेटी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी निभा ही है। पिछले साल सेवा आगरा को एंबुलेंस भेंट की गई थी। इस साल रक्तदान शिविर के माध्यम से संदेश देने का प्रयास किया गया।