प्रदोष व्रत पर ऐसे करें मां पार्वती को प्रसन्न, वैवाहिक जीवन की मुश्किलें होंगी दूर

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (June Pradosh Vrat 2025) भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना गया है। जून महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 23 जून को पड़ रहा है। इस दिन मां पार्वती की उपासना करने से विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं और रिश्ते मजबूत होते हैं। ऐसे में इस तिथि पर मां पार्वती के 108 नामों का जप जरूर करें जो इस प्रकार हैं।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को शिव पूजन के लिए बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस दिन भक्ति भाव से शिव पूजन करने जीवन की सभी बाधाओं का अंत होता है और शिव कृपा मिलती है। प्रत्येक माह में दो प्रदोष व्रत (June Pradosh Vrat 2025) पड़ते हैं एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। वहीं, जून महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 23 जून को पड़ रहा है। ऐसे में इस अवसर को और भी ज्यादा खास बनाने के लिए इस पावन तिथि पर मां पार्वती की भी उपासना करें। सबसे पहले सुबह पानी में हल्दी और गंगाजल डालकर शुभ स्नान करें। फिर तुलसी को जल चढ़ाएं। इसके बाद शिव परिवार के सामने घी का दीपक जलाएं।
उन्हें गुड़हल, सफेद फूल, बिल्व पत्र, खीर, चंदन, कुमकुम, आदि चढ़ाएं। मां पार्वती के 108 नामों का जप करें। कपूर से विधिवत आरती करें। इससे विवाह से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होंगी और रिश्ते मजबूत होंगे।
।। मां पार्वती के 108 नाम।।
ॐ श्री गौर्यै नमः।
ॐ गणेशजनन्यै नमः।
ॐ गिरिराजतनूद्भवायै नमः।
ॐ गुहाम्बिकायै नमः।
ॐ जगन्मात्रे नमः।
ॐ गंगाधरकुटुंबिन्यै नमः।
ॐ वीरभद्रप्रसुवे नमः।
ॐ विश्वव्यापिन्यै नमः।
ॐ विश्वरूपिण्यै नमः।
ॐ अष्टमूर्त्यात्मिकायै नमः।
ॐ कष्टदारिद्र्यशमन्यै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ शांभव्यै नमः।
ॐ शंकर्यै नमः।
ॐ बालायै नमः।
ॐ भवान्यै नमः।
ॐ भद्रदायिन्यै नमः।
ॐ माङ्गल्यदायिन्यै नमः।
ॐ सर्वमङ्गलायै नमः।
ॐ मञ्जुभाषिण्यै नमः।
ॐ महेश्वर्यै नमः।
ॐ महामायायै नमः।
ॐ मन्त्राराध्यायै नमः।
ॐ महाबलायै नमः।
ॐ हेमाद्रिजायै नमः।
ॐ हैमवत्यै नमः।
ॐ पार्वत्यै नमः।
ॐ पापनाशिन्यै नमः।
ॐ नारायणांशजायै नमः।
ॐ नित्यायै नमः।
ॐ निरीशायै नमः।
ॐ निर्मलायै नमः।
ॐ अम्बिकायै नमः।
ॐ मृडान्यै नमः।
ॐ मुनिसंसेव्यायै नमः।
ॐ मानिन्यै नमः।
ॐ मेनकात्मजायै नमः।
ॐ कुमार्यै नमः।
ॐ कन्यकायै नमः।
ॐ दुर्गायै नमः।
ॐ कलिदोषनिषूदिन्यै नमः।
ॐ कात्यायिन्यै नमः।
ॐ कृपापूर्णायै नमः।
ॐ कल्याण्यै नमः।
ॐ कमलार्चितायै नमः।
ॐ सत्यै नमः।
ॐ सर्वमय्यै नमः।
ॐ सौभाग्यदायै नमः।
ॐ सरस्वत्यै नमः।
ॐ अमलायै नमः।
ॐ अमरसंसेव्यायै नमः।
ॐ अन्नपूर्णायै नमः।
ॐ अमृतेश्वर्यै नमः।
ॐ अखिलागमसंस्तुतायै नमः।
ॐ सुखसच्चित्सुधारसायै नमः।
ॐ बाल्याराधितभूतेशायै नमः।
ॐ भानुकोटिसमद्युतये नमः।
ॐ हिरण्मय्यै नमः।
ॐ परायै नमः।
ॐ सूक्ष्मायै नमः।
ॐ शीतांशुकृतशेखरायै नमः।
ॐ हरिद्राकुंकुमाराध्यायै नमः।
ॐ सर्वकालसुमङ्गल्यै नमः।
ॐ सर्वभोगप्रदायै नमः।
ॐ सामशिखायै नमः।
ॐ वेदन्तलक्षणायै नमः।
ॐ कर्मब्रह्ममय्यै नमः।
ॐ कामकलनायै नमः।
ॐ कांक्षितार्थदायै नमः।
ॐ चन्द्रार्कायितताटङ्कायै नमः।
ॐ चिदंबरशरीरिण्यै नमः।
ॐ श्रीचक्रवासिन्यै नमः।
ॐ देव्यै नमः।
ॐ कामेश्वरपत्न्यै नमः।
ॐ कमलायै नमः।
ॐ मारारातिप्रियार्धांग्यै नमः।
ॐ मार्कण्डेयवरप्रदायै नमः।
ॐ पुत्रपौत्रवरप्रदायै नमः।
ॐ पुण्यायै नमः।
ॐ पुरुषार्थप्रदायिन्यै नमः।
ॐ सत्यधर्मरतायै नमः।
ॐ सर्वसाक्षिण्यै नमः।
ॐ शतशांगरूपिण्यै नमः।
ॐ श्यामलायै नमः।
ॐ बगलायै नमः।
ॐ चण्ड्यै नमः।
ॐ मातृकायै नमः।
ॐ भगमालिन्यै नमः।
ॐ शूलिन्यै नमः।
ॐ विरजायै नमः।
ॐ स्वाहायै नमः।
ॐ स्वधायै नमः।
ॐ प्रत्यंगिराम्बिकायै नमः।
ॐ आर्यायै नमः।
ॐ दाक्षायिण्यै नमः।
ॐ दीक्षायै नमः।
ॐ सर्ववस्तूत्तमोत्तमायै नमः।
ॐ शिवाभिधानायै नमः।
ॐ श्रीविद्यायै नमः।
ॐ प्रणवार्थस्वरूपिण्यै नमः।
ॐ ह्र्रींकार्यै नमः।
ॐ नादरूपायै नमः।
ॐ त्रिपुरायै नमः।
ॐ त्रिगुणायै नमः।
ॐ ईश्वर्यै नमः।
ॐ सुन्दर्यै नमः।
ॐ स्वर्णगौर्यै नमः।
ॐ षोडशाक्षरदेवतायै नमः।