प्यासे बैलों ने नहर में लगाई छलांग, मरने से पहले मालिक को नहर से बाहर फेंककर बचाई जान

प्रतीकात्मक
भीषण गर्मी के चलते खेतों में जुताई से घर लौट रहे प्यासे बैल हैरो सहित नहर में कूद गए और रस्सी पकड़े किसान भी नहर में जा गिरा। हैरों की वजह बैल जहां डूबने लगे वहीं किसान की भी जान सांसत में आग गई।

किसान को अपनी मौत सामने दिखाई देने लगी तभी एक बैल ने उसे उठाकर फेंक दिया, बांस की टहनी हाथ में आने से किसान की जान बच गई। लेकिन, दोनों बैल हैरो के भारी वजह के चलते डूब गए। 

हैरो का वजन उन्हें पानी के अंदर खींचने लगा

 बगुलिया निवासी श्याम सुंदर रोज की तरह शुक्रवार को भी बैलों को लेकर ऊंची बगुलिया खेत जोतने गया था और दोपहर को लौट रहा था। बैलों की जोड़ी नहर की पटरी पर आते ही हैरो सहित नहर में कूद गई, जिनकी रस्सी पकड़े श्याम सुंदर भी नहर में जा गिरा।

बैल और स्वामी नहर में डूबते-उतराते डेढ़ सौ मीटर तक पहुंच गए। उसी दौरान बैलों का जोड़ा एक गिरे पेड़ में अटक गया और हैरो का वजन उन्हें पानी के अंदर खींचने लगा।

बैलों के मुआवजे की मांग

मौत से जूझ रहे तड़पते बैल ने श्याम सुंदर को उठाकर फेंक दिया। यही श्याम सुंदर के लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि जहां वह गिरा उसके हाथ नदी के किनारे लगे बांस के पेड़ की लटकती टहनी आ गई, जिसके सहारे वह बाहर आ गया। लेकिन, बैलों ने तड़पते-तड़पते जान दे दी।

बाहर आने पर जब श्याम सुंदर ने देखा तो बैल डूब चुके थे। जानकारी मिलने पर गांव के लोग इकट्ठे हुए। मरे हुए बैलों और हैरो को बाहर निकाला। ग्राम प्रधान अमरजीत सिंह कुशवाहा, पूर्व प्रधान रामाधार पप्पू, मोतीलाल, राम बढ़ाई, राजेंद्र कुमार आदि ने बैलों के मुआवजे की मांग की है।

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