अभी-अभी: पीएम पद के लिए 2019 में पीएम मोदी को टक्कर देने आया ये बड़ा दावेदार, पूरा देश हुआ हैरान

भले ही भारतीय जनता पार्टी अभी से मिशन 2019 की तैयारी में लग गई है लेकिन इस बार मोदी लहर को रोकने के लिए एक ऐसा नेता सामने आया है जो सबको हैरान कर देगा। भले ही इस नेता को कोई जानता ना हो लेकिन इनका दावा है कि 2019 में वही देश के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। आपको बता दें कि बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह मिशन 2019 की तैयारी में अभी से लग गए हैं और आने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों की पूरी कमान अपने कंधे पर ले ली है।पीएम पद के लिए 2019 में पीएम मोदी को

वहीं, दूसरी ओर कुछ दिन पहले ही हुए मोदी-नीतीश के मिलन के बावजूद भी इस नेता ने दावा किया है कि वह अगले लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ तगड़ा दावेदार होगा। इस नेता का दावा यह भी है कि इनके बारे में एक ज्‍योतिषी ने भी भविष्‍यवाणी की है कि वह 2019 में पीएम पद के तगड़े दावेदार हैं। आपको बता दें कि यह नेता कोई और नहीं बल्कि नोएडा का एक युवक विनोद पवार है। यही नहीं इसके लिए पवार ने 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।

पीएम मोदी की प्रतिद्वंद्विता में अपने कुछ पोस्टर भी तैयार किए हैं

इसको लेकर विनोद ने पीएम मोदी की प्रतिद्वंद्विता में अपने कुछ पोस्टर भी तैयार किए हैं। बता दें कि विनोद नोएडा के सेक्टर 50 में एक कोचिंग सेंटर चलाता है। एक न्यूज चैनल से बातचीत में उसने कहा कि देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। ऐसे कई मुद्दे हैं जिनके समाधान जरूरी हैं। इसलिए वह देश में आर्थिक विकास और अन्य सुधारों के लिए प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं।

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राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन को अपना दोस्‍त बताया था

आपको बता दें कि विनोद इससे पहले भी राजनीति में आने की कोशिश कर चुके हैं। जनवरी 2017 में उसने नोएडा विधानसभा से विधायक के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था। उस समय उसने रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन को अपना दोस्‍त बताया था। यही नहीं इसके अलावा उन्होंने अपने प्रस्तावकों के रूप में महात्मा गांधी समेत स्वामी विवेकानंद, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, आंबेडकर, एपीजे अब्दुल कलाम, नेल्सन मंडेला, सुभाष चंद्र बोस, गौतम बुद्ध, अब्राहम लिंकन और अन्य का नाम दिया था।

उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था

नियम के मुताबिक किसी निर्दलीय उम्मीदवार को अपने शपथपत्र पर 10 प्रस्तावकों का हस्ताक्षर देना होता है। प्रस्तावक उसी विधानसभा के वोटर भी होने चाहिए। हालांकि विनोद चुनाव नहीं लड़ पाए थे। चुनाव आयोग ने पर्याप्त जानकारी नहीं देने की वजह से उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था।

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