पाकिस्तान में नहीं थमा धमाकों का सिलसिला, लाहौर में हुए……
लाहौर, प्रेट्र। कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बावजूद पाकिस्तान में धमाकों का सिलसिला थम नहीं रहा। गुरुवार को पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर के पॉश इलाके डिफेंस हाउसिंग सोसायटी (डीएचए) के जेड ब्लॉक में धमाका हुआ। इसमें आठ लोगों की मौत हो गई और 30 जख्मी हो गए। चार की हालत गंभीर है। धमाका भारतीय खाना परोसने वाले रेस्तरां बांबे चौपाटी और अल्फार्नो कैफे को निशाना बनाकर किया गया।
पुलिस के मुताबिक बांबे चौपाटी से सटे एक निर्माणाधीन इमारत में बम लगाया गया था। आठ से 10 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। धमाका इतना जोरदार था कि इमारत से 100 फुट की दूरी पर खड़ी कारों की खिड़कियां टूट गई। हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है। लाहौर में दस दिनों के भीतर हुआ यह दूसरा हमला है। इससे पहले 13 फरवरी को प्रांतीय विधानसभा के बाहर प्रदर्शन के दौरान धमाके में 15 की मौत हो गई थी। पाकिस्तान तालिबान के धड़े जमात-उल-अहरार ने इसकी जिम्मेदारी ली थी।
डीएचए सेना के अधीन आता है। जिस मार्केट में धमाका हुआ वहां कई रेस्तरां हैं और युवा जोड़े अक्सर यहां आते-जाते रहते हैं। धमाके के बाद जवानों ने पूरे इलाके को सील कर दिया। इलाके के सभी शैक्षणिक संस्थान और व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं। लाहौर के भी बड़े व्यापारिक केंद्र और बाजार बंद कर दिए गए हैं। पंजाब प्रांत के कानून मंत्री राणा सनाउल्लाह ने बताया कि पाकिस्तान सुपर लीग के फाइनल मैच को टालने के लिए यह हमला किया गया है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में प्रशिक्षण लेकर आतंकी पाक में घुसते हैं। विधानसभा के बाहर और सिंध के सेहवन में धमाका करने वाले फिदायीन भी पाकिस्तान से आए थे।
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गौरतलब है कि इस महीने पाकिस्तान में कई आतंकी हमले हुए हैं। इन हमलों में सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मंगलवार को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के एक अदालत के बाहर हमले में सात लोगों की मौत हो गई थी। हाल का सबसे जबर्दस्त धमाका 16 फरवरी को सेहवन में सूफी संत बाबा लाल शहबाज कलंदर की दरगाह पर किया गया था। इसमें 88 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद सेना ने अफगानिस्तान से लगी सीमा सील करते हुए आतंकियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया था। अभियान में अब तक 130 से ज्यादा आतंकियों को ढेर करने का सेना दावा कर चुकी है।
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लाहौर में धमाके से एक दिन पहले पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ ‘राद-उल-फसाद’ नामक विशेष अभियान शुरू किया गया था। राद उल फसाद का मतलब होता है कलह को हमेशा के लिए शांत करना। इस अभियान में पाकिस्तानी सेना, वायु सेना और नौसेना के अलावा अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी शामिल हैं। सेना का कहना है कि इस अभियान का मकसद आतंकियों के ठिकानों को हमेशा के लिए खत्म कर देना है। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2014 में पेशावर के सैन्य स्कूल पर हमले के बाद ‘जर्ब ए अज्ब’ नामक इसी तरह का अभियान आतंकियों के खिलाफ शुरू किया गया था।