पाकिस्तान की गीदड़भभकी नहीं हो रही बंद, अब अफगानिस्तान को दी युद्ध की खुली धमकी

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने इस्तांबुल में शांति वार्ता विफल होने पर काबुल के साथ युद्ध की धमकी दी है। अफगान-पाक सीमा पर झड़पों को रोकने के लिए तुर्किये में दूसरे दौर की बातचीत चल रही है, जिसमें दोहा समझौते को लागू करने पर जोर है। पाकिस्तान ने तालिबान से उग्रवादियों को रोकने की मांग की है, जबकि तालिबान ने आरोपों से इनकार किया है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि अगर इस्तांबुल में चल रही शांति वार्ता विफल रही, तो पाकिस्तान काबुल के साथ खुला युद्ध शुरू कर सकता है। TOLO न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह बैठकें अफगान-पाक सीमा पर हाल के झड़पों और संघर्षविराम उल्लंघनों को रोकने के लिए की जा रही हैं।

आसिफ ने पत्रकारों से कहा कि पिछले कुछ दिनों में सीमा पर कोई नई झड़प नहीं हुई, जिससे दोहा समझौता आंशिक रूप से असरदार साबित हुआ है। हालांकि, अफगान सरकार की ओर से आसिफ के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

दूसरे दौर की बातचीत शुरू

दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल तुर्किये में बातचीत के दूसरे दौर में हिस्सा ले रहे हैं। वार्ता का फोकस है- दोहा समझौता को लागू करना, सीमा पार हमले को रोकना और आपसी भरोसा बहाल करना। TOLO न्यूज के मुताबिक, चर्चा चार मुख्य बिंदुओं पर केंद्रित है- हिंसा रोकने के लिए संयुक्त निगरानी प्रणाली बनाना, एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान सुनिश्चित करना, पाकिस्तान की सुरक्षा चिंताओं की जड़ पर चर्चा करना और व्यापारिक प्रतिबंध हटाना।

आसिफ ने कहा कि फिलहाल सीमा पर स्थिति शांत है, लेकिन अगर बातचीत असफल रही तो हालात तेजी से बिगाड़ सकते हैं। यह बैठक 18 और 19 अक्टूबर में हुई पहली वार्ता के बाद हो रही है, जिसमें कतर और तुर्किये ने मध्यस्थता की थी।

पाकिस्तान ने क्या हवाला दिया?

उस समय दोनों पक्षों ने तुरंत संघर्षविराम लागू करने पर सहमति जताई थी। कतर के विदेश मंत्रालय ने बताया कि अब तुर्किये में चल रही यह बैठक संघर्षविराम को स्थायी और विश्वसनीय बनाने के लिए है। आसिफ ने याद दिलाया कि पाकिस्तान दशकों तक अफगानिस्तान की मदद की और लाखों शरणार्थियों को शरण दी।

लेकिन, इसी सप्ताह पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने बलूचिस्तान में कई अफगान शरणार्थी शिविरों को खाली करवा दिया। इनमें लोरालाई, गार्डी जंगल, सारनान, झोब, कलात-ए-सैफुल्लाह, पिशिन और मुस्लिम बाग के शिविर शामिल हैं। कई शरणार्थियों ने कहा कि उन्हें अचानक निकाल दिया गया और अपनी चीजें तक समेटने का समय नहीं मिला।

पाक की तालिबान से मांग

इस महीने की शुरुआत में संघर्ष तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान ने तालिबान सरकार से मांग की कि वह उन उग्रवादियों को रोके जो अफगान भूमि से पाकिस्तान पर हमले कर रहे हैं। इसके बाद पाकिस्तान ने सीमा पार हवाई हमले किए और दोनों देशों के बीच भारी गोलीबारी हुई, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई।

तालिबान ने आरोपों से किया इनकार

हालांकि, तालिबान अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि अफगानिस्तान की भूमि किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं हो रही है। उनका कहना है कि इस्लामिक अमीरात किसी देश के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता और क्षेत्रीय शांति के लिए प्रतिबद्ध है।

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