पहलगाम हमला: ‘चुन-चुन कर युवा जोड़ों को ही मार रहे थे गोली’, शुभम की पत्नी की बातें सुन भावुक हुए राहुल गांधी

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पहलगाम हमले में मारे गए कानपुर के शुभम के परिवार से मुलाकात की। इस दौरान शुभम की पत्नी ऐशान्या ने राहुल गांधी को बताया कि आतंकवादी चुन-चुनकर सिर्फ युवा जोड़ों (कपल्स) को ही निशाना बना रहे थे।

आतंकी हमले में मारे गए कानपुर के हाथीपुर के शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पहलगाम में हुई घटना की पल-पल की जानकारी दी। बताया कि आतंकियों ने सबसे पहले उनके पति को गोली मारी। जिस समय उनके साथ यह घटना हुई, वहां पर करीब 300 से 400 लोग थे। आतंकवादी चुन-चुनकर सिर्फ युवा जोड़ों (कपल्स) को ही निशाना बना रहे थे।

बताया कि आतंकी पहले लोगों से कई सवाल करते, उसके बाद बड़ी निर्दयता से गोली मार देते थे। आतंकी जिस तरह से एक के बाद एक लोगों को मार रहे थे, ऐसा लगा कि वे सभी को मार देंगे।

राहुल गांधी हुए भावुक
राहुल गांधी ने एक-एक करके सभी परिजनों की बातें सुनीं। यह सुनकर वह कई बार भावुक हुए। शुभम की पत्नी ऐशान्या जब बताते हुए रोने लगीं तो उन्हें ढांढस बंधाया। राहुल के हाथीपुर आगमन पर पार्टी की ओर से किसी भी तरह का स्वागत करने, नारेबाजी करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के माध्यम से उन्होंने एक दिन पहले ही इस संबंध में कार्यकर्ताओं के लिए निर्देश जारी कर दिया था। ग्रामीण इकाई अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने इसके लिए वीडियो भी जारी किया था। वह चकेरी एयरपोर्ट से सीधे शुभम के घर पहुंचे और वहां से वापस एयरपोर्ट। फिर हवाई जहाज से दिल्ली चले गए।

‘मेरा पति गुमनामी की मौत नहीं मर सकता, उसे शहीद का दर्जा दिलाइए’
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बुधवार को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए हाथीपुर निवासी शुभम द्विवेदी के परिजनों से मिलने उनके घर पहुंचे। वह यहां पर करीब 20 मिनट रहे। शुभम के पिता संजय द्विवेदी और पत्नी ऐशान्या ने उनसे शुभम को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग की।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा पीएम को चिट्ठी लिखेंगे
पत्नी ने कहा कि उनका पति गुमनामी की मौत नहीं मर सकता है। राहुल ने परिजनों को आश्वस्त किया कि वह इसके लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखेंगे। यह भी बताया गया कि इस घटना को देखते हुए उन्होंने लोकसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए भी प्रधानमंत्री से कहा है। शाम करीब 3.45 बजे चकेरी एयरपोर्ट से कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीधे हाथीपुर पहुंचे।

‘आपने भी आतंकवाद में दादी और पिता को खोया है, मेरा भी दर्द समझिए’
शुभम के पिता ने उनसे कहा कि आपने भी अपनी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी को आतंकवाद में खोया है। ऐसे में मेरा दर्द समझिए, मेरे बेटे को शहीद का दर्जा दिलाइए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए सभी को साथ आना पड़ेगा। राहुल गांधी ने इस दौरान ऐशान्या और परिजनों की बात फोन के जरिए पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्र्रा से कराई। उन्होंने भी परिजनों को पूरा सहयोग करने को कहा।

सरकारी गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई तो जिलाध्यक्ष की कार से गए राहुल
चकेरी एयरपोर्ट पहुंचने के बाद हाथीपुर जाने के लिए लाई गई कार ने धोखा दे दिया। समय पर वह स्टार्ट नहीं हो पाई। इस पर राहुल गांधी उसे छोड़कर पार्टी के ग्रामीण जिलाध्यक्ष की कार से रवाना हो गए। हालांकि सुरक्षा की द़ृष्टि से उनकी कार को साथ में चल रहे निजी सहायक अलंकार पवई ने चलाया। इस बीच एयरपोर्ट पर अंदर कौन-कौन पार्टी का नेता रहेगा, इसे लेकर भी काफी झिकझिक हुई।

बताया जा रहा है कि पहले पूर्व विधायक सुहैल अंसारी, संजीव दरियावादी, नौशाद आलम मंसूरी, मदन मोहन शुक्ला सहित कई लोगों को बाहर रखा गया था। जब इसका विरोध होने लगा तो कुछ लोगों को अंदर बुला लिया गया। जब राहुल शुभम के आवास पहुंचे तो वहां पर पहले से काफी कार्यकर्ता थे। उन सभी को घर के अंदर जाने से रोका गया। इस पर पुलिस के साथ झड़प भी हुई।

पर्यटकों पर आतंकी हमला, 26 की नृशंस हत्या
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा कर 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी। सेना की वर्दी में आए दहशतगर्दों ने पहलगाम की बायसरन घाटी में पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा, परिचय पत्र देखे और फिर हिंदू हो कहकर गोली मार दी। 26 मृतकों में ज्यादातर पर्यटक हैं, जबकि दो विदेशी और दो स्थानीय नागरिक शामिल हैं।

टीआरएफ ने ली हमले की जिम्मेदारी
हमले में करीब 14 लोग घायल हुए हैं। इस कायराना हमले की जिम्मेदारी पहले पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा से जुड़े गुट द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी। हालांकि बाद में टीआरएफ ने सफाई दी थी कि हमले से हमारा कोई वास्ता नहीं हैं। इस हमले को अंजाम नहीं दिलाया। फरवरी, 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर में यह सबसे बड़ा आतंकी हमला है। उस हमले में सीआरपीएफ के 47 जवान मारे गए थे।

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