पहलगाम के आरू, एम्यूजमेंट पार्क या बेताब घाटी में आतंकी खेलना चाहते थे खूनी खेल

 पहलगाम के बैसरन में नरसंहार को अंजाम देने से पहले आतंकी क्षेत्र में ही स्थित आरू घाटी, एम्यूजमेंट पार्क या बेताब घाटी में खूनी खेल खेलना चाहते थे, लेकिन सुरक्षाबलों की उपस्थिति, सुरक्षित बच निकलने के कम विकल्प और कम भीड़ होने के कारण उन्होंने इरादा बदल लिया।

आतंकी सात दिन तक पहलगाम और उसके साथ सटे क्षेत्रों में घूमते रहे। बैसरन को उन्होंने हमले से दो दिन पहले ही चुना। यह पर्दाफाश बैसरन नरसंहार की जांच के दौरान मिले सुराग व आतंकियों के पकड़े गए ओवरग्राउंड वर्करों (मददगारों) से पूछताछ के आधार पर हुआ है।

एनआईए ने किया स्थल का दौरा

इस बीच, एनआइए के एक दल ने बैसरन में नरसंहार स्थल का दौरा कर ड्रोन के जरिए पूरी फुटेज तैयार की। इसके अलावा हमले के तुरंत बाद वहां पहुंचे सुरक्षा अधिकारियों व कुछ घोड़ेवालों से भी बातचीत की है। मामले की जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, बैसरन हमले में लिप्त आतंकी पहलगाम और उसके साथ सटे इलाकों में अपने स्थानीय मददगारों के साथ लगभग एक सप्ताह पहले से घूम रहे थे। वह 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे थे।

पहले आरू, एम्यूजमेंट पार्क, फिर बेताब घाटी

इस दौरान आतंकियों ने आरू घाटी की रेकी की, लेकिन सुरक्षाबलों का शिविर निकट होने के कारण उन्होंने इरादा बदल दिया। इसके बाद आतंकियों ने आरू घाटी मार्ग पर लिद्दर दरिया के किनारे स्थित एम्यूजमेंट पार्क में खूनी खेल खेलना चाहा, लेकिन वहां भीड़ में कमी और सुरक्षाबलों की मौजूदगी के अलावा आसपास सीसीटीवी कैमरों की आशंका के चलते इरादा बदल दिया।उन्होंने बेताब घाटी की भी रेकी की, लेकिन सुरक्षाबलों की मौजूदगी और बच निकलने के पर्याप्त रास्ते न होने के कारण वे बेताब घाटी से दूर रहे।

हमले से दो दिन पहले पहुंचा आतंकी दल

सूत्रों की मानें तो आतंकियों का दल अपने ओवरग्राउंड वर्क संग 19 अप्रैल को बैसरन पहुंचा था। उन्होंने बैसरन पार्क और आसपास क्षेत्र की रेकी की, लेकिन अपने ओवरग्राउंड वर्कर से इस विषय में कोई बात नहीं की आतंकियों ने हमले से एक दिन पहले अपने ओवरग्राउंड वर्कर से संपर्क किया और उसे 22 अप्रैल की दोपहर को बैसरन पहुंचने के लिए कहा था।

ओवरग्राउंड वर्कर बने गाइड

सूत्रों के अनुसार, बैसरन नरसंहार के गुनहगारों को पकड़ने के लिए सुरक्षा बल ने अपना तलाशी अभियान जारी रखा हुआ है। सुरक्षा बल ने 20 के करीब ऐसे ओवरग्राउंड वर्करों को चिह्नित किया है, जो हमलावर आतंकियों के साथ संपर्क में रह चुके हैं। इनमें से कुछ जेल में बंद हैं। चार ओवरग्राउंड वर्करों ने पाकिस्तानी आतंकियों के लिए कथित तौर पर गाइड का भी काम किया है। पांच ओवरग्राउंड वर्करों के बारे में कहा जा रहा है कि वह हमले के समय पहलगाम और बैसरन के आसपास थे और आतंकियों से फोन पर संपर्क बनाए हुए थे।

उन्नत संचार उपकरण से संपर्क

आतंकियों के एक ओवरग्राउंड वर्कर ने उन्हें फोन पर उस जगह की भी जानकारी दी, जहां उन्हें हमले के बाद पहुंचना था। जांच में एक अल्ट्रा-स्टेट संचार उपकरण के दो सिग्नल भी पकड़े हैं। इस उपकरण के जरिए बिना सिमकार्ड के मोबाइल फोन से आडियो या वीडियो काल के लिए कनेक्ट किया जा सकता है, संदेश भेजा जा सकता है। जिस क्षेत्र में ये सिग्नल पाए गए थे, उसकी गहन तलाशी ली गई है और जांच जारी है।

आतंकियों के मददगारों को पकड़ा गया पहलगाम हमले को लेकर जांच एजेंसियों ने अभी तक 2600 संदिग्ध तत्वों से पूछताछ की है और उनमें से 188 को कथित तौर पर हिरासत में लिया है। इनके अलावा 20 ओवरग्राउंड वर्करों को भी पकड़ा गया है। इनके बारे में कहा जा रहा है कि ये मारे जा चुके आतंकी जुनैद के अलावा बैसरन हमले में लिप्त आतंकियों के संपर्क में रह चुके हैं।

Back to top button