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वाराणसी में गंगा तट पर करीब 84 घाट हैं। हर घाट की अपनी एक अलग कहानी और मान्यता है। इन्हीं में से एक घाट ऐसा है जहां शादीशुदा लोग स्नान नहीं करते क्योंकि यहां स्नान करना यानी अपने लिए मुसीबत बुलाना है।

बनारस के इस घाट का निर्माण दत्तात्रेय स्वामी ने करवाया था। वह घाट परम विष्णु भक्त नारद मुनि के नाम से यानी नारद घाट के नाम से जाना जाता है। इस घाट के विषय में मान्यता है कि यहां जो भी शादीशुदा जोड़े आकर स्नान करते हैं उनके बीच मतभेद बढ़ जाता है। उनके पारिवारिक जीवन में आपसी तालमेल की कमी हो जाती है और अलगाव हो जाता है।

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नारद घाट से पहले इसे कुवाईघाट के नाम से जाना जाता था। उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में घाट पर नारदेश्वर (शिव) मंदिर का निर्माण किया गया। इसके बाद से इस घाट का नाम नारद घाट पड़ गया। मान्यता है कि नारदेश्वर शिव की स्थापना देवर्षि नारद ने की थी।

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