पत्नी को तंदूर में फूंकने वाला पैरोल पर रिहा

Tandoor2-300x191नई दिल्ली। तंदूर हत्याकांड के आरोपी सुशील शर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पैरोल पर रिहा कर दिया। शर्मा ने बीस साल पहले अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या कर ही थी। और उसके शव को तंदूर में जलाने की कोशिश की थी।

पैरोल देते हुए अदालत ने कहा कि जब तक शर्मा की सजा को कम करने और समय पूर्व रिहाई संबंधी अपील का निपटारा नहीं कर लिया जाता, वह जेल से बाहर रहेगा। न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल ने उसकी रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि वह 20 साल से अधिक समय तक जेल में रह चुका है और यह उसके अधिकार का मामला है।

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दिल्ली सरकार के अतिरिक्त सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि फैसला लिया जा चुका है और अब उप राज्यपाल को अंतिम आदेश पारित करना है। अदालत ने शर्मा को पैरोल पर रिहा करते हुए कहा कि उसके वकील ने इस तथ्य की ओर उसका ध्यान आकषिर्त किया है कि दोषी 20 साल से अधिक की सजा भुगत चुका है।

अदालत ने कहा कि पूर्व के एक मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला शर्मा के वकील द्वारा दिए गए बयान की पुष्टि करता है। उसके मद्देनजर, राज्य को निर्देश दिया गया है कि वह उसकी अपील के लंबित रहने और उस पर सक्षम प्राधिकार का फैसला आने तक याचिकाकर्ता को पैरोल पर रिहा करे।

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जज ने यह भी स्पष्ट किया कि शर्मा को पैरोल देते हुए उस पर ‘कोई शर्त’ नहीं थोपी गयी है। शर्मा ने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि वह पहले ही जेल में 20 साल से अधिक काट चुका है और सजा समीक्षा बोर्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार समय पूर्व रिहाई का हकदार है।

उच्चतम न्यायालय ने 2003 में निचली अदालत द्वारा शर्मा को सुनायी गयी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। शीर्ष अदालत से पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी 2007 में मौत की सजा को बरकरार रखा था। शीर्ष अदालत ने सजा को आजीवन कारावास में बदलते हुए कहा था कि हत्या ‘निजी संबंधों के तनावपूर्ण’ होने का नतीजा थी और दोषी ‘पुराना अपराधी’ नहीं है जो ‘दस साल जेल की कोठरी में’ गुजार चुका है।

 

 

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