पंजाब जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव: 2027 की तैयारी

पंजाब में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब सभी दलों का फोकस ग्रामीण इलाकों में अपना दम दिखाने पर रहेगा। सूबे में नामांकन प्रक्रिया के दौरान जमकर विवाद और हंगामे हुए। विपक्षी दलों ने अपने प्रत्याशियों के नामांकन पत्र फाड़ने, सरेराह छीनने, भरने से रोकने व उन्हें हिरासत में लेने के आरोप लगाए गए। इस दौरान खूब बवाल हुआ। इतना ही नहीं पंजाब पुलिस के आला अफसरों की कथित ऑडियो कॉन्फ्रेंस भी वायरल हुई। इन विवादों की गूंज संसद तक गूंजी।

इसके बावजूद मुख्य चुनाव आयुक्त कार्यालय ने नामांकन प्रक्रिया संपन्न होने की घोषणा कर दी है। निर्दलीय प्रत्याशियों का चुनाव चिह्न भी बांट दिए गए हैं। जो प्रत्याशी अब मैदान में डटे हैं वे रविवार से अपने चुनाव प्रचार को तेज कर देंगे। चूंकि मतदान 14 दिसंबर को है लिहाजा उन्हें प्रचार के लिए भी कम ही दिन मिलेंगे।

पंजाब में 1 करोड़ 36 लाख 4 हजार 650 ग्रामीण मतदाताओं को साधने के लिए सभी दलों के प्रत्याशियों को खूब मेहनत करनी पड़ेगी। सभी की नजरें सूबे के इन्हीं 64 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं पर टिकी रहेंगी, क्योंकि इन्हीं चुनाव में जीत से फरवरी 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए जीत की राह आसान बनेगी।

सियासी हवा का रुख तय करते हैं ग्रामीण मतदाता
पंजाब में मतदाताओं की संख्या करीब 2 करोड़ 14 लाख है। इनमें से 1.36 करोड़ से अधिक मतदाता ग्रामीण हलकों से हैं इसलिए सभी सियासी दलों के लिए जिला परिषद व पंचायत समिति चुनाव में जीत के मायने अहम हैं। साल 2018 में हुए इन चुनाव की बात करें तो इसमें कांग्रेस को बढ़त मिली थी और काफी सीटें शिअद ने भी जीती थीं इसलिए नामांकन रद्द होने के विवाद को भी इन्हीं दोनों दलों ने तूल दिया है।

यह चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए भी बहुत अहम रहेंगे। इन्हीं चुनावों की परफॉर्मेंस यह तय करेगी कि फरवरी 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए ग्रामीण मतदाताओं पर किस दल की कितनी पकड़ है। राजनीतिक मामलों के जानकार मंजीत सिंह बताते हैं पंजाब में ग्रामीण मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। यह मतदाता सूबे की सियासी हवा का रुख तय करते हैं। उनके अनुसार ये चुनाव साल 2023 में होने थे मगर दो साल देरी से हो रहे हैं। फरवरी 2027 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, लिहाजा इन चुनाव में जीत-हार दलों के लिए बहुत अहम रहेगी। अब देखना यह है कि ग्रामीण मतदाताओं का आशीर्वाद किस दल को मिलेगा।

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