न्यूजीलैंड के साथ FTA से इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में भारत को मिलेगी मजबूती

भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों को बढ़ावा देगा। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्री टॉड मैक्ले के नेतृत्व में हुई वार्ता में व्यापारिक संबंधों के साथ-साथ रणनीतिक हितों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। एफटीए से रक्षा सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला में सुधार और द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि की उम्मीद है। यह समझौता भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को भी मजबूत करेगा।

हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को मजबूती देने में जुटे भारत की कोशिशों को न्यूजीलैंड के साथ होने वाले मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से एभसमझौते (एफटीए) से भी काफी बल मिलेगा।

भारत और न्यूजीलैंड के बीच इस समझौते को लेकर वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्री टॉड मैक्ले की अगुवाई में पिछले हफ्ते चौथी दौर की वार्ता हाल ही में सफलतापूर्वक संपन्न हुई है।

दोनों देशों ने क्या कहा?

दोनों देशों की तरफ से कहा गया है कि वह सिर्फ व्यापारिक संबंधों के नजरिए से ही भावी एफटीए समझौते को नहीं देख रहे बल्कि इसके जरिए दोनों देशों के रणनीतिक हितों, खास तौर पर हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति व अमन स्थापित करने के लिहाज से किस तरह से इस्तेमाल किया जाए, इस पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

रोटोरुआ में न्यूजीलैंड के पीएम क्रिस्टोफर लक्सन और वाणिज्य मंत्री मैक्ले के साथ एफटीए वार्ता के बाद वाणिज्य मंत्री गोयल ने बताया कि न्यूजीलैंड के साथ भारत के संबंधों में चौतरफा सुधार हो रहा है। मार्च, 2025 में पीएम लक्सन की नई दिल्ली में पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ हुई मुलाकात के बाद रक्षा व सुरक्षा क्षेत्र में संबंधों की नई संभावनाओं का द्वार खोल दिया है।

सप्लाई चेन को लेकर भारत की कोशिश

दोनों देशों की सैन्य बलों के बीच सहयोग पर बात हो रही है, एक दूसरे के रणनीतिक हितों से जुड़ी सूचनाओं के आदान-प्रदान को लेकर हम व्यापक सहयोग की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे में एफटीए होने से दोनों देशों के बीच आपसी भरोसा और बढ़ेगा। दोनों देशों की कंपनियों के बीच प्रौद्योगिकी व अन्य सहयोग स्थापित करने में आसानी होगी।

इसी तरह से सप्लाई चेन में भारत की कोशिश है कि न्यूजीलैंड के साथ एक व्यापक सहयोग हो। पिछले हफ्ते वाणिज्य मंत्री गोयल की अगुवाई में हुई बातचीत में आपूर्ति श्रृंखला (‌विभिन्न उद्योगों के लिए जरूरी कच्चे माल, कल-पुर्जे या उपकरणों पर आपसी निर्भरता कायम करना) में सहयोग एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है।

उक्त वजह से भारत की तरफ से न्यूजीलैंड के साथ एफटीए को प्राथमिकता के तौर पर लिया जा रहा है। वाणिज्य मंत्री गोयल के मुताबिक, न्यूजीलैंड जैसे छोटे भौगोलिक देशों के साथ एफटीए भारतीय इकोनमी के लिए एक शानदार कदम साबित होगा। इस एफटीए से हम दुनिया को यह संदेश देंगे कि भारत कारोबार के लिए एक खुला देश है।

क्यों जरूरी है न्यूजीलैंड?

न्यूजीलैंड को दुनिया के सबसे विकसित व व्यापारिक दृष्टिकोण से एक खुले देश के तौर पर देखा जाता है और जब वहां की कंपनियों का निवेश भारत में बढ़ेगा तो इसका सकारात्मक संदेश अन्य निवेशकों तक भी जाएगा। निश्चित तौर पर आगामी समझौते में किसानों, छोटे व मझौले उद्यमियों के हितों की रक्षा होगी लेकिन यह समझौता उनके लिए संभावनाओं के कई द्वार भी खोलेगा।

न्यूजीलैंड में भारत की राजदूत नीता भूषण ने बताया कि, “बदलते वैश्विक परिवेश में न्यूजीलैंड की अहमियत भारत के लिए काफी बढ़ी है और न्यूजीलैंड की तरफ से भी भारत के साथ संबंधों को लेकर गजब का उत्साह है। भावी कारोबारी समझौता भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मजबूत साझेदारियों को मजबूत करेगा।

दोनों देशों के संबंधों में गरमाहट का असर द्विपक्षीय व्यापार पर साफ दिखाई दे रहा है क्योंकि वर्ष 2024-25 में हमारा द्विपक्षीय कारोबार तकरीबन 50 फीसद बढ़ा है। कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, शिक्षा और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में हमारा कारोबार काफी बढ़ सकता है।

चीन के साथ न्यूजीलैंड का कारोबार

वैसे चीन के साथ न्यूजीलैंड के 40 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार के मुकाबले यह काफी कम है फिर भी दोनों तरफ के अधिकारी मान रहे हैं कि एफटीए के बाद एक दशक में तस्वीर काफी बदल सकती है। प्रशांत द्वीप समूह के इस प्रमुख अर्थव्यवस्था के जरिए भारत दक्षिण पूर्व एशियाई व आस्ट्रेलिया के बाजारों में भी पहुंच बढ़ाने की मंशा रखता है। साथ ही न्यूजीलैंड को भी भारत जैसे विशाल बाजार का लाभ मिलेगा। यहीं वजह है कि गोयल और मैक्ले बार बार पारस्परिक हितों का ध्यान रखने वाले एफटीए करने पर जोर दे रहे हैं।

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