नेपाल पर मंडरा रहा बड़ा खतरा, अगर ऐसा हुआ तो मचेगी तबाही

आईसीआईएमओडी, जल एवं मौसम विज्ञान विभाग और ‘यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम’ नेपाल के साथ मिलकर इन चार उच्च जोखिम वाली झीलों पर खतरा कम करने के उपाय पर काम कर रहा है।
Science News: विशेषज्ञों ने नेपाल में 42 ऐसी हिमनद झीलों की पहचान की है, जिनके फटने का गंभीर खतरा है। इन्हें लेकर उन्होंने चेतावनी दी है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट’ (आईसीआईएमओडी) के विशेषज्ञ शरद प्रसाद जोशी ने शुक्रवार को संखुवासभा जिले के मुख्यालय खांदबारी में हुई एक चर्चा के दौरान यह चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर इनमें से कोई झील फटती है, तो भारी जनहानि और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है।
जोशी ने बताया कि आईसीआईएमओडी की ”नेपाल के ग्लेशियर और हिमनद झीलों में तेजी से हो रहे बदलावों से उत्पन्न जोखिम’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में देश की 2,069 हिमनद झीलों में से 42 को ”अत्यधिक जोखिम” वाली श्रेणी में रखा गया है। ये सभी झीलें कोशी प्रांत में हैं।
उन्होंने बताया कि संखुवासभा जिले में भोटखोला और मकालू इलाके समेत चार हिमनद झीलों को उच्च जोखिम में रखा गया है। लोअर बारुन इलाके की तलोपोखरी हिमनद झील को सबसे ज्यादा जोखिम वाली झील बताया गया है, जो करीब तीन किलोमीटर लंबी और 206 मीटर गहरी है, जबकि आसपास की गहराई 15 से 25 मीटर है।
आईसीआईएमओडी, जल एवं मौसम विज्ञान विभाग और ‘यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम’ नेपाल के साथ मिलकर इन चार उच्च जोखिम वाली झीलों पर खतरा कम करने के उपाय पर काम कर रहा है। जोशी ने बताया कि इन इलाकों में ज्यादा सतर्कता और तैयारी की जरूरत है।
लोअर बारुन इलाके के एक बड़े तालाब को भी इस सुरक्षा अभियान में शामिल किया गया है। जोशी ने चेतावनी दी कि अगर कोई झील फटती है, तो अरुण घाटी की कई बस्तियां और वहां का बुनियादी ढांचा खतरे में पड़ सकता है। इसके साथ ही तिब्बत में बनी 13 हिमनद झील भी प्रांत के उत्तरी हिस्सों के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।
कार्यक्रम में आईसीआईएमओडी की एक अन्य विशेषज्ञ नीरा श्रेष्ठा प्रधान भी मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि आपदाओं के समय महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।





