नेपाल को कब मिलेगी अंतरिम सरकार; संसद भंग करने को लेकर बालेन ने क्या कहा?

नेपाल में हालात अब भी तनावपूर्ण हैं। फिलहाल किसी भी तरह की हिंसा की खबर नहीं है। हालांकि, बीते दिनों जो कुछ भी हुआ, उसे लेकर लोगों में दहशत है। सेना ने मोर्चा संभाला हुआ है। अगले आदेश तक कर्फ्यू जारी है। इससे पहले कथित भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था।
नेपाल में सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के विरोध प्रदर्शन के बीच फैली हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी रोकने के लिए सेना सड़कों पर है। प्रदर्शनों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध के आदेश के साथ कर्फ्यू लगा दिया है। इस बीच आंदोलनकारी अंतरिम सरकार बनाने की तैयारियों में जुट गए हैं। इस बीच नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम का प्रस्ताव किया है। काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह बालेन ने भी इसका समर्थन किया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पहले बिना देर किए संसद भंग करनी चाहिए और फिर अंतरिम सरकार का गठन किया जाना चाहिए। कई जेन जी एनजीओ ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए हैं।
पहले जानते हैं नेपाल में अब तक क्या-क्या हुआ?
नेपाल में जेन-जी समूह के नेतृत्व में दो दिन चले सरकार विरोधी हिंसक आंदोलन में 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि 600 से ज्यादा लोग घायल हो गए। पुलिस और अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
संसद भवन की इमारत के सामने विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 19 लोगों की मौत हुई, जिनमें अधिकांश युवक शामिल थे। काठमांडू के कोटेश्वर इलाके में मंगलवार को भीड़ के हमले में तीन पुलिसकर्मी मारे गए। इसके अलावा कालीमाटी थाने में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में तीन प्रदर्शनकारी मारे गए।
गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, इन प्रदर्शनों के दौरान कुल 633 लोग घायल हुए हैं।
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी व विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा भी प्रदर्शनकारियों के हमले में घायल हो गए।
नेपाल की सेना ने बुधवार को विरोध प्रदर्शनों की आड़ में संभावित हिंसा को रोकने के लिए देशव्यापी प्रतिबंधात्मक आदेश और कर्फ्यू लागू कर दिए।
यह कदम बड़े पैमाने पर सरकारी विरोधी प्रदर्शनों के कारण प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के एक दिन बाद उठाया गया है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने सहायता के लिए आपातकालीन नंबर भी साझा किए हैं। काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से +977-980 860 2881 (व्हाट्सएप कॉल भी) और +977-981 032 6134 (व्हाट्सएप कॉल भी) पर संपर्क किया जा सकता है।
सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने अब तक नेपाल की जेलों से भागे 35 कैदियों को पकड़ा है। इनमें से 22 कैदी उत्तर प्रदेश में भारत-नेपाल सीमा पर, 10 बिहार में और तीन बंगाल में पकड़े गए। अधिकारियों के अनुसार, यह संख्या अभी भी बढ़ रही है।
निषेधाज्ञा और कर्फ्यू कल सुबह 6 बजे तक बढ़ा
काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर जिलों में निषेधाज्ञा और कर्फ्यू कल सुबह 6 बजे तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, आवश्यक सेवा वाले वाहन और संस्थान चल सकते हैं। नेपाली सेना कि लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए हम अनुरोध करते हैं कि भाद्रपद 26 को सुबह 6 बजे से 9 बजे तक और शाम 5 बजे से 7 बजे तक दैनिक आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध रहें, लेकिन हम आपसे छोटे-छोटे समूहों में काम करने का आग्रह करते हैं।
बालेन ने क्या कहा…
काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने ट्वीट किया, ‘प्रिय जेन-जी और सभी नेपालियों से मेरा अनुरोध है कि देश इस समय एक अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहा है। आप अब एक सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। कृपया इस समय घबराएं नहीं, धैर्य रखें। अब देश को एक अंतरिम सरकार मिलने वाली है, जो देश में नए चुनाव कराएगी। इस अंतरिम सरकार का काम चुनाव कराना और देश को एक नया जनादेश देना है।’
उन्होंने लिखा, ‘मैं पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को इस अंतरिम या चुनावी सरकार का नेतृत्व सौंपने के आपके प्रस्ताव का पूर्ण समर्थन करता हूं। मैं आपकी समझ, बुद्धिमत्ता और एकता का तहे दिल से सम्मान करता हूं। इससे पता चलता है कि आप कितने परिपक्व हैं। मैं अपने उन दोस्तों से, जो इस समय नेतृत्व संभालने की जल्दी में हैं, यही कहना चाहता हूं कि देश को आपके जुनून, आपकी सोच और आपकी ईमानदारी की स्थायी रूप से जरूरत है, अस्थायी रूप से नहीं। इसके लिए चुनाव होंगे। कृपया जल्दबाजी न करें।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘माननीय राष्ट्रपति जी, जेन-जी की ओर से लाई गई ऐतिहासिक क्रांति की रक्षा के लिए एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाना चाहिए और संसद को अविलंब भंग किया जाना चाहिए।’
शीला कार्की
नेपाल में युवाओं के प्रदर्शन के समर्थन में एक बड़ी आवाज नेपाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की की रही। उन्होंने युवाओं के प्रदर्शन का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि सरकार की तरफ से प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग के आदेश के बाद खुद सड़कों पर उतर कर आंदोलन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने सरकार की कार्रवाई को ‘हत्या’ करार दिया।
बताया गया है कि युवाओं ने प्रदर्शन रोकने के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम तौर पर नेपाल की सत्ता सौंपने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया। दरअसल, कार्की ने कहा था कि अगर 1000 युवा उनके पक्ष में हस्ताक्षर करेंगे तो ही वे सरकार की जिम्मेदारी संभालेंगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके पक्ष में 2500 से ज्यादा वोट पड़े।
भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से की पढ़ाई
कार्की का जन्म सात जून 1952 को विराटनगर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके अलावा उन्होंने कानून की पढ़ाई नेपाल की त्रिभुवन यूनिवर्सटी से की। इसके बाद वकालत और कानूनी सुधारों के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत की। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की, जिनमें चुनावी विवाद भी शामिल थे।
सिविल इंजीनियर-रैप आर्टिस्ट से नेता तक
बालेन शाह काठमांडू के 15वें मेयर हैं। बालेन पेशे से सिविल इंजीनियर और रैपर भी रहे हैं। बालेन शाह ने साल 2022 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में काठमांडू मेयर चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया था। बालेन शाह लोगों के बीच, खासकर युवा पीढ़ी में खासे लोकप्रिय हैं। बालेन शाह अपने समर्थकों से जुड़ने के लिए पारंपरिक मीडिया के बजाय सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय रहते हैं, जिससे युवा पीढ़ी उनसे जुड़ी
भारत से की है इंजीनियरिंग की पढ़ाई
बालेंद्र (बालेन) का छात्र जीवन में भारत से भी रिश्ता रहा है। उन्होंने इजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर्नाटक से की है। संगीतकार, रैपर, कवि, इंजीनियर से नेता बने शाह का नाम देश के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चला। बालेंद्र का जन्म 27 अप्रैल, 1990 को काठमांडू के नरदेवी में एक मैथिल मूल के मधेशी परिवार में हुआ। उनके पिता राम नारायण शाह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं। उनके पिता आयुर्वेदिक अस्पताल में तैनाती के बाद मधेश प्रांत के महोत्तरी जिले से काठमांडू आए थे। बालेन शाह ने 12वीं की पढ़ाई वीएस निकेतन हायर सेकेंडरी स्कूल से की। उन्होंने हिमालयन व्हाइटहाउस इंटरनेशनल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की और बाद में कर्नाटक में विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी (वीटीयू) से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की।
टाइम मैगजीन ने उभरते नेताओं की सूची में शामिल किया
साल 2023 में टाइम मैगजीन ने शाह को टॉप 100 उभरते नेताओं की सूची में शामिल किया था, जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी उनकी तारीफ की। बालेन शाह की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें नेपाल की राजनीति में नई उम्मीद माना जा रहा है। जेनजी के प्रदर्शन को लेकर उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि ‘भले ही वे आयु सीमा (28 वर्ष से कम) के कारण प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन उनकी पूरी सहानुभूति और समर्थन प्रदर्शनकारियों के साथ है।’ उन्होंने राजनीतिक दलों और नेताओं से आंदोलन का दुरुपयोग न करने की अपील भी की।
ओली से रही बालेन शाह की अदावत
बालेन शाह को केपी शर्मा ओली का विरोधी माना जाता है। दोनों के बीच अदावत की वजह थी कि बीते साल काठमांडू मेट्रोपोलिटन सिटी ने नियमों का पालन नहीं करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इस कार्रवाई की जद में कई नेता भी आए। ऐसे में काठमांडू मेट्रोपोलिटन सिटी का विरोध शुरू हो गया। बालेन शाह ने इसके लिए पीएम केपी शर्मा ओली पर निशाना साधा। इसके बाद मेट्रोपोलिटन सिटी के हजारों कर्मचारियों को कई महीनों तक सैलरी नहीं मिली थी। बालेन शाह ने इन कर्मचारियों को समर्थन दिया था और सरकार को चेतावनी दे डाली थी। इस मामले को लेकर खूब विवाद हुआ और बालेन शाह लोगों की नजरों में आ गए। नेपाली जनता भ्रष्टाचार के चलते राजनीतिक दलों से नाराज चल रही है, लेकिन बालेन शाह किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं हैं और ये बात भी उनके पक्ष में जाती है।