नेपाल के बाद अफ्रीका में जेन-जेड आंदोलन की लहर

जेन-जेड आंदोलनों की नई लहर ने मेडागास्कर की सरकार को गिरा दिया, राष्ट्रपति अंद्री राजोएलिना देश छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए। सेना ने भी विरोधियों का समर्थन किया।
नेपाल और बांग्लादेश के बाद अब अफ्रीका में जेन-जेड की विरोधी आंदोलनों ने एक और सरकार को गिरा दिया है। मेडागास्कर के राष्ट्रपति अंद्री राजोएलिना देश छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए, यह जानकारी विपक्ष और अधिकारियों ने दी।
राजोएलिना ने देर रात राष्ट्रीय टीवी पर एक अनिर्दिष्ट स्थान से कहा कि सेना में विद्रोह के बाद उन्हें अपनी जान की सुरक्षा के लिए देश छोड़ना पड़ा। उन्होंने इस मौके पर इस्तीफा देने की घोषणा नहीं की।
कुछ हफ्तों से जारी था जेन-जेड के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन
राजोएलिना कुछ हफ्तों से जेन-जेड के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहे थे। शनिवार को विरोध का नाटकीय मोड़ तब आया जब एक विशेष सैन्य इकाई ने विरोध में शामिल होकर राष्ट्रपति और अन्य मंत्रियों से इस्तीफा देने की मांग की। इसके बाद राजोएलिना ने कहा कि इंडियन ओशन द्वीप में सत्ता पर अवैध कब्जा करने का प्रयास हो रहा है और उन्होंने देश छोड़ने का निर्णय लिया।
राजोएलिना ने अपने भाषण में कहा कि मैं अपनी जान की सुरक्षा के लिए सुरक्षित स्थान पर जाने को मजबूर था। उन्होंने संवाद की अपील की और कहा कि संविधान का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्होंने मेडागास्कर कैसे छोड़ा या वर्तमान में कहां हैं, लेकिन रिपोर्ट्स में कहा गया कि उन्हें फ्रांसीसी सैन्य विमान द्वारा देश से बाहर ले जाया गया।
सेना में बगावत, सत्ता पर कब्जे का दावा
मेडागास्कर की एक विशेष सैन्य इकाई CAPSAT ने बगावत कर दी है और दावा किया है कि अब पूरा सैन्य नियंत्रण उसके पास है। इस इकाई के प्रमुख, कर्नल माइकल रेंड्रियनरीना ने कहा कि सेना जनता की आवाज पर प्रतिक्रिया दे रही है और यह कोई तख्तापलट नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके सैनिक अब प्रदर्शनकारियों के साथ हैं और सप्ताहांत में झड़पों में उनका एक सैनिक मारा गया। राजधानी में बख्तरबंद गाड़ियों पर सवार सैनिकों को लोग मेडागास्कर के झंडे लहराते हुए स्वागत कर रहे थे।
तीन हफ्तों से जारी विरोध प्रदर्शन
25 सितंबर से शुरू हुए ये प्रदर्शन शुरू में पानी और बिजली की किल्लत को लेकर थे, लेकिन धीरे-धीरे यह आंदोलन राष्ट्रपति और उनकी सरकार के खिलाफ व्यापक असंतोष में बदल गया। तीन हफ्तों से चल रहे इस जेन-जेड नेतृत्व वाले विरोध में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने शुरुआती दिनों में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर सरकार की हिंसक प्रतिक्रिया की आलोचना की है।
नेपाल और श्रीलंका के विरोध प्रदर्शनों से प्रेरणा
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 22 लोग मारे जा चुके हैं और दर्जनों घायल हुए हैं, जबकि सरकार ने इसे खारिज किया है। प्रदर्शनकारियों ने इंटरनेट के जरिए संगठन किया और नेपाल और श्रीलंका में हालिया विरोध प्रदर्शनों से प्रेरणा ली।
राजनीतिक संकटों का पुराना इतिहास
मेडागास्कर में यह पहली बार नहीं है जब सत्ता पर संकट आया हो। 1960 में फ्रांस से आजादी के बाद देश में कई बार राजनीतिक संकट और तख्तापलट हुए हैं। खुद राष्ट्रपति राजोएलिना भी 2009 में एक सैन्य समर्थित विद्रोह के बाद सत्ता में आए थे। उन्हें 2018 में चुना गया और 2023 में दोबारा राष्ट्रपति बने, लेकिन विपक्षी दलों ने उस चुनाव का बहिष्कार किया था। रिपोर्टों के मुताबिक, राष्ट्रपति के पूर्व प्रधानमंत्री और उनके करीबी सलाहकार भी देश छोड़कर पड़ोसी द्वीप मॉरीशस पहुंच गए हैं, जहां सरकार ने इस निजी विमान की लैंडिंग पर नाराजगी जताई है।
गौरतलब है कि मेडागास्कर, पूर्वी अफ्रीका के पास स्थित एक बड़ा द्वीप देश है, जिसकी आबादी करीब 3.1 करोड़ है। वहां गरीबी और सरकारी सेवाओं की असफलता को लेकर जनता में लंबे समय से नाराजगी है, जो अब बड़े विरोध में बदल चुकी है।