निर्जला एकादशी पर रात के समय दीपक से करें खास उपाय

निर्जला एकादशी जिसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। यह भगवान विष्णु की उपासना का महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन (Nirjala Ekadashi Vrat 2025) भक्त कठिन उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और 24 एकादशी का फल मिलता है। वहीं इस दिन दीपक जलाने का भी बड़ा महत्व है।
निर्जला एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु की उपासना के लिए खास माना जाता है। पंचांग गणना के आधार पर यह उपवास ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत (Nirjala Ekadashi 2025) में भक्त पूरे दिन भोजन और पानी का त्याग और श्री हरि की पूजा करते हैं, तो आइए इस व्रत के आने से पहले कुछ ऐसे उपाय करते हैं, जिन्हें करने से नारायण की कृपा मिल जाए।
निर्जला एकादशी का धार्मिक महत्व (Nirjala Ekadashi Significance)
निर्जला एकादशी का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही 24 एकादशी का फल मिलता है। यह व्रत भगवान विष्णु के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। इस दिन साधक विष्णु जी की पूजा करते हैं और कठिन व्रत का पालन करते हैं।
निर्जला एकादशी पर करें दीपक के ये चमत्कारी उपाय (Nirjala Ekadashi diya lighting Remedies)
श्री हरि के सामने जलाएं दीपक – निर्जला एकादशी पर नारायण के सामने घी का दीपक जलाएं। इससे मनचाहा फल मिलेगा।
तुलसी के पास – इस दिन तुलसी के पौधे के पास घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास सदैव के लिए बना रहेगा।
मुख्य द्वार पर – निर्जला एकादशी पर घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। साथ ही शुभता का आगमन होता है।
पीपल के पेड़ के पास – निर्जला एकादशी पर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही जीवन के सभी दुखों का नाश होता है।
दीपक जलाने के लाभ (Diya Lighting Benefits)
निर्जला एकादशी पर दीपक जलाने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। इससे घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। कहते हैं कि यह उपाय भगवान विष्णु की कृपा पाने और जीवन के अंधकार को दूर करने का एक कारगर तरीका है।
पूजा मंत्र (Nirjala Ekadashi Puja Mantra)
- शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥ - दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।