निगम में हर दूसरे दिन हो रही हड़ताल, परेशानी में जालंधर के लोग

पंजाब में विधानसभा चुनावों को अब लगभग एक साल का समय रह गया है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की सरकार जहां कुछ मामलों में तेजी दिखा रही है, वहीं जालंधर नगर निगम की बिगड़ती छवि को सुधारने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। इस बड़े शहर में निगम की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में गहरा रोष है, जिसका सीधा असर सत्तापक्ष की छवि पर पड़ रहा है। गौरतलब है कि नगर निगम इन दिनों साफ-सफाई, हरियाली बढ़ाने और ब्यूटीफिकेशन पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है लेकिन इसके बावजूद निगम में आए दिन होने वाली हड़तालें पूरे सिस्टम की पोल खोल रही हैं। आज भी निगम में बंटू ग्रुप से संबंधित यूनियन नेताओं ने हड़ताल का ऐलान किया और मेयर–कमिश्नर कार्यालय के सामने जोरदार रोष प्रदर्शन किया।
सुबह निगम ड्राइवर अपनी कूड़े से लदी गाड़ियां लेकर मेन गेट पर पहुंच गए और उसे पूरी तरह ब्लॉक कर दिया। इसके चलते मेयर, कमिश्नर सहित कई अधिकारी कार्यालय तक नहीं पहुंच सके। करीब 2 घंटे तक जारी इस प्रदर्शन में यूनियन नेताओं ने सरकार और निगम प्रशासन को जमकर कोसा। बाद में हड़ताली कर्मचारी श्री राम चौक पहुंचे, जहां उन्होंने ट्रैफिक रोककर नारेबाजी की। हड़ताल के चलते शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे रहे और कूड़ा लिफ्टिंग का काम लगभग ठप्प रहा। दोपहर बाद हड़ताल समाप्त हो गई लेकिन अधिकतर कर्मचारी कार्यालय नहीं लौटे, जिससे दिनभर कामकाज बाधित रहा।
रोष प्रदर्शन में बंटू सभ्रवाल, शम्मी लूथर, राजन कल्याण, मनीष बाबा, विनोद गिल, विक्रम कल्याण, हितेश नाहर, नीतीश नाहर, सिकंदर खोसला, सोनू सुपरवाइजर, विपन सभ्रवाल, मनदीप मीतू, अशोक वाल्मीकि, सुनील दत्त बॉबी, हरदेव नाहर, सोमनाथ थापर, गौरव बेनी, हैप्पी थापर, राहुल थापर, रिक्की सभ्रवाल, सन्नी खोसला, अमित गिल, अनूप थापर मौजूद रहे।
गौरतलब है कि पंजाब सरकार द्वारा जालंधर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट के लिए जो 143 करोड़ रुपए का टैंडर निकाला गया है, उसका नगर निगम की दोनों यूनियन लगातार विरोध कर रही हैं। यूनियन नेताओं का आरोप है कि यह टैंडर कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है और इसे किसी भी हाल में लागू नहीं होने दिया जाएगा। यूनियन की मांगों में 1196 सफाई कर्मचारियों की भर्ती जल्द करना, स्मार्ट सिटी के तहत वापस रखे गए रिटायर्ड अधिकारियों को तुरंत घर भेजना, माली व बेलदारों को पक्का करना, 10 साल से अधिक समय से काम कर रहे कम्प्यूटर ऑप्रेटरों को नियमित करना, कैंट हलके के कुछ नए पार्षदों द्वारा अपने स्तर पर कच्चे कर्मचारी रखकर शोषण को बंद कराया जाना और नियमित भुगतान सुनिश्चित करना शामिल हैं।
यूनियन का आरोप है कि कुछ पार्षद पिछले एक साल से कच्चे मुलाजिमों से काम तो ले रहे हैं, पर उन्हें तनख्वाह नहीं दी जा रही। लगातार हो रही हड़तालें न केवल शहर की सफाई व्यवस्था को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि निगम और सरकार दोनों की छवि पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं।





