नया नियम: किश्त चुकाने से चूके तो भी 30 दिन नो टेंशन…!!!!!

रिजर्व बैंक ने फंसे कर्ज के समाधान के लिए शुक्रवार को नया सर्कुलर जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी को आरबीआई का पुराना सर्कुलर रद्द कर दिया था। नए नियम के तहत किसी भुगतान में चूक को डिफॉल्ट घोषित करने की अवधि बढ़ाकर 30 दिन कर दी गई है। 

पुराने सर्कुलर में आरबीआई ने 2 हजार करोड़ या उससे ज्यादा के लोन रीपेमेंट में एक दिन की भी देरी होने पर बैंकों को कर्जदार के खिलाफ समाधान प्रक्रिया शुरू करने और डिफॉल्ट घोषित करने का निर्देश दिया था। इस नियम को बदलकर अब कर्जदारों को 30 दिन की छूट दी है। इसमें कहा गया कि अगर कोई कर्जदार 2 हजार करोड़ या उससे ज्यादा के कर्ज के भुगतान में देरी करता है तो बैंक 30 दिनों के भीतर उसकी समीक्षा करेंगे और समाधान योजना बनाएंगे। 

बैंकों को खराब कर्ज से निपटने के लिए अपने बोर्ड से स्वीकृत नीतियों का पालन करना चाहिए। रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों या अन्य कर्जदाताओं को कर्ज के फंसने की आहट पर तत्काल सजग होना होगा और उसकी निगरानी शुरू करनी होगी। साथ ही इसकी सूचना सीआरआईएलसी को देनी चाहिए, जिसमें किसी खाते को स्पेशल मेंशन अकाउंट के रूप में शामिल करने की भी जानकारी हो। यह नियम 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक की रकम के कर्जदारों पर लागू होगा।

सभी की अनुमति जरूरी नहीं

आरबीआई ने किसी कर्जदार के खिलाफ समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए सभी क्रेडिटर्स की अनुमति की अनिवार्यता भी खत्म कर दी है। अब महज 75 फीसदी कर्जदाताओं की अनुमति लेकर ही समाधान प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी। इस प्रक्रिया की रूपरेखा तय करने का अधिकार कर्जदाताओं को ही होगा। हालांकि, सभी कर्जदाताओं को सहमति जताने के लिए इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने होंगे।

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