दोस्त बनकर बच्चों का भविष्य बेहतर बना सकते हैं पिता

एक समय था जब बच्चे पिता से ज्यादा मां के करीब होते थे। कारण, मां हरदम उनके सामने मौजूद रहती थी। आफिस से थके-हारे आए पिता का सिर्फ कुछ देर का ही समय मिल पाता था। उसमें भी पिता से एक अनकहा डर बना रहता था। वक्त बदला और साथ ही पिता-संतान के बीच की दूरी कुछ कम हो गई। मगर एक बात जो सदा रही कि ‘मां तो मां ही होती है’।
इस बात को बड़ी गहराई से लेकर समाज को पिता की एक नई परिभाषा समझाने का भी यह दौर है। पिता जितना पास रहें, उतना ही अलग तरह से निखरता है संतान का बचपन। जब पिता इस जिम्मेदारी में आते हैं तो उन्हें बच्चों के साथ बहुत समय बिताने को मिलता है। वे उनके बारे में सब कुछ जानते हैं। उनके खाने का समय, उन्होंने कितना खाया है, वे किस तरह के मूड में हैं।
इसी तरह बच्चों के जीवन के हर पड़ाव जैसे पहली बार बैठना, पहला कदम, पहले शब्द यह सब देखने का मौका मिलता है। ऐसे पिता स्वयं हर अवसर पर बच्चे के आस-पास रहते हैं। उनका बंधन अपेक्षाकृत मजबूत होता है क्योंकि यह समय के साथ बनता है। आम पिता की तरह आपको अपनी पत्नी के पास जाकर पूछना नहीं पड़ता कि बच्चा क्यों रो रहा है या इसको क्या चाहिए?
सख्त क्यों बनना
पिता के साथ रह रहे बच्चे चीजों को अलग नजरिए से देखते हैं, क्योंकि वे मां से ज्यादा पिता के साथ बातें करते हैं। पिता लाजिक के साथ बच्चों को हर चीज के बारे में बताते हैं। पिता के करीब रहने वाले बच्चे भावनात्मक होने के साथ ही तथ्यपरक भी हो जाते हैं। वे उम्र के किसी भी पड़ाव में पहुंच जाएं, बाद में पिता को कोई अंतर नहीं पाटना होता है। पिता जीवन में अनुशासन भी लाते हैं, हालांकि अगर आपको लगता है कि पिता को हमेशा सख्त बनकर ही रहना होता है तो ऐसा जरूरी नहीं है। पिता की दिनचर्या का ज्यादा अवलोकन बच्चों में स्वत: अनुशासन ले आता है।
मुझे बस घर पर रहना था
जिस दिन मेरी बेटी पैदा हुई, उस दिन से ही मैं घर पर रहना चाहता था। मैं उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहता था। ईमानदारी से देखें तो नवजात को खिलौनों से ज्यादा माता-पिता के समय की जरूरत होती है। इसलिए मैंने तय किया कि मैं बस हमेशा घर पर रहूंगा। प्राइमरी केयरगिवर के तौर पर रहने वाले पिता इस दौरान ज्यादा धैर्यवान बनते हैं। जब बच्चे कुछ नया सीखते हैं और आपको पता चलता है कि आपने इसमें कुछ भूमिका निभाई है, तो आपको एक प्यारी सी खुशी-संतुष्टि मिलती है, वह किसी पे चेक से बढ़कर होती है।
वो मुझे मुझसे बेहतर जानती है
बच्चे अपनी मां की पसंद-नापसंद और मूड के बारे में तो खूब जानते हैं, मगर पिता के मामले में यह थोड़ा कम हो जाता है। ऐसे में पिता के साथ अधिक समय बिताने वाले बच्चे पिता को तो समझते ही हैं, साथ ही उनमें लोगों को समझने का कौशल भी अधिक बढ़ जाता है। मेरी बेटी जानती है कि मैं क्या खाता हूं, कौन से शोज देखता हूं, जब मैं बोर होता हूं तो क्या करता हूं। जबकि दूसरे बच्चे कभी-कभी अपने पिता को सिर्फ एक अच्छे लेकिन घर के मुख्य सदस्य के तौर पर ही देखते हैं। चूंकि हम साथ में इतना समय बिताते हैं, इसलिए हममें बहुत सी समानताएं हैं। हमें एक जैसी चीजें करना पसंद है। हमें एक-दूसरे के साथ समय बताने के लिए वीकेंड का इंतजार नहीं करना पड़ता।
मिल गया काम करने का सीक्रेट
पहले मुझे रूटीन लाइफ पसंद थी। लिखने के लिए शांति की जरूरत थी। बेटी होने के बाद मेरा सारा शेड्यूल ही गड़बड़ हो गया। कुछ समय के लिए इसने मुझे चिंता में डाल दिया। जैसे कि अगर मुझे तीन घंटे का लगातार समय नहीं मिला तो मैं कैसे लिखूंगा? यही वर्क फ्राम होम करने वाले पिता भी सोचते होंगे। फिर मैंने खुद को याद दिलाया कि जब मैंने लिखना शुरू किया था, तो मेरे पास तय समय नहीं था। मैंने कालेज में लिखा, मैं काम करते हुए लिखता था। इसलिए अब मैंने इससे समन्वय बना लिया है। मैं लगातार बिना किसी रुकावट के लिखने का लक्ष्य नहीं रखता। जब समय मिलता है, लिख लेता हूं। मैंने आदर्श परिस्थितियों का इंतजार करना बंद कर दिया है। मेरे दो बच्चे अलग-अलग आयुवर्ग के हैं, इसलिए वे कभी भी एक ही समय पर खाली नहीं होते। एक को किसी चीज में मदद की जरूरत है, तो कुछ देर बाद दूसरा अपने काम से ऊब जाता है। इतने दिनों में मैंने सीखा है कि अगर आप स्थितियों को स्वीकार कर लेते हैं, तो आप ज्यादा काम कर पाते हैं। यही एकमात्र तरीका है जो मेरे लिए कारगर रहा है।
बस इतनी सी सलाह
अगर आप प्राइमरी केयरगिवर बनने की भूमिका पर विचार कर रहे हैं, तो मेरी बस यही सलाह है कि धैर्य रखें। यदि आप धैर्य रख सकते हैं, तो बस इतना ही काफी है। यही पैरेंटिंग का हैक है। आपको पैरेंटिंग क्लास या फैंसी खिलौनों या किसी और चीज की जरूरत नहीं है। यदि आप रोने, नखरे करने, खाना न खाने, अनोखी बीमारियां और अजीबो-गरीब सवालों के बावजूद धैर्य रख सकते हैं, तो आप अच्छा कर रहे हैं। बच्चों के साथ अपने बचपन को याद करिए, उन्हें वो बचपन दीजिए, जैसा आप चाहते थे।