देशभर में पहली सरकारी योजनाओं में फ्रॉड पर बड़ा खुलासा

राजस्थान पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए सरकारी योजनाओं में फर्जी नामों से लाभ उठाने वाले 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई झालरापाटन, अकलेरा, डग, मनोहर थाना और सुनेल थाना क्षेत्र में एक साथ की गई, जिसमें 70 से अधिक पुलिस टीमों ने एक बड़े ऑपरेशन के तहत छापेमारी की। यह कार्रवाई संभवत: देश की पहली ऐसी कार्रवाई है। ऑपरेशन कितना बड़ा और गोपनीय था इसका अंदाजा इसी बात से लगाइए कि 30 टीमें कार्रवाई के लिए लगाई गईं थीं, 30 टीमें रिजर्व और 10 टीमें थानों में रखी गई थी। सुबह साढ़े 3 बजे इन टीमों को कार्रवाई के बारे में ब्रीफिंग की गई। इससे पहले किसी भी टीम के पास कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बताया कि सूचना मिलने के बाद यह कार्रवाई गुप्त रूप से की गई। ऑपरेशन का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गिरिराज सिंह, एडिशनल एसपी मनोहर मीणा, डीएसपी गोविंद सिंह, और जिले की विशेष टीमों ने किया। करीब 600–700 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले 3 जिलों में एक साथ छापेमारी की गई, जिससे आरोपियों को भागने का मौका नहीं मिला।

70 लोकेशनों पर एक साथ छापे
ब्रीफिंग होने के बाद एक साथ 70 ठिकानों पर दबिश दी गई। कार्रवाई के दौरान फर्जी सरकारी योजनाओं में लाभ उठाने वाले गिरोह के सदस्य पकड़े। गिरफ्तार आरोपियों से अब तक करीब ₹53 लाख नकद, 12 लग्जरी वाहनों सहित कुल 30 वाहन, हजारों पासबुक, एटीएम कार्ड, वोटर ID, आधार कार्ड, कंप्यूटर, मोबाइल, प्रिंटर, फिंगर स्कैनर, साइन पैड, और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं।

करोड़ों की फर्जी बैंक ट्रांजेक्शन

पुलिस की जांच में सामने आया है कि आरोपियों के बैंक खातों में एक ही दिन में या बहुत कम अंतराल में करोड़ों रुपये के लेन-देन हुए। यह रकम सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, सामाजिक सुरक्षा, वृद्धावस्था पेंशन और मुख्यमंत्री योजनाओं के फर्जी लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की जाती थी। इन फर्जी खातों का संचालन कॉल सेंटर और साइबर फ्रॉड नेटवर्क से जुड़े लोगों द्वारा किया जा रहा था।

पूरे प्रदेश में फैला नेटवर्क

पुलिस जांच से पता चला कि यह गिरोह झालावाड़, कोटा, बूंदी, बारां, चित्तौड़गढ़ से लेकर मध्यप्रदेश के कई जिलों तक फैला हुआ था। गिरोह के सदस्य फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर लोगों की पहचान का दुरुपयोग करते हुए सरकारी योजनाओं से लाखों रुपये निकालते थे। मुख्य सरगना जगदीश उर्फ़ जैक, राजकुमार लोधी और राकेश लोधी सहित कई अन्य के खिलाफ केस दर्ज कर जांच जारी है।

उच्च तकनीकी जांच और 11000 फर्जी दस्तावेज बरामद

जांच में 11000 से अधिक फर्जी बैंक दस्तावेज, पासबुक, ATM कार्ड, पैन कार्ड और पहचान पत्र मिले हैं। कई कंप्यूटरों और लैपटॉप से डिजिटल ट्रांजेक्शन, सॉफ्टवेयर एंट्री और फर्जी रिकॉर्ड भी बरामद किए गए। पुलिस ने अब इस पूरे नेटवर्क की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया है, जिसमें तकनीकी और साइबर विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं।

साइबर और बैंकिंग कनेक्शन की जांच

जांच में सामने आया कि कई बैंक कर्मचारियों और साइबर कैफे ऑपरेटरों का भी इस गिरोह से संपर्क था। SBI, PNB, और अन्य बैंकों के कुछ खातों में बड़ी मात्रा में संदिग्ध ट्रांजेक्शन पाए गए हैं, जिनकी जांच के लिए FIU (Financial Intelligence Unit) और बैंक ऑडिट टीम को जानकारी भेजी गई है।

SIT का गठन

इस फर्जीवाड़े की गहराई से जांच के लिए पुलिस ने SIT का गठन किया है, जिसकी अगुवाई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमित कुमार और मनोज मीणा करेंगे। टीम में तकनीकी विशेषज्ञों, साइबर सेल अधिकारियों और बैंकिंग विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। टीम का उद्देश्य इस पूरे नेटवर्क को उजागर कर राज्यभर में चल रहे ऐसे अन्य फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाना है।

प्रमुख जब्त सामग्री

पुलिस का बयान: एसपी अमित कुमार ने कहा —“यह कार्रवाई सरकारी योजनाओं में हो रहे बड़े फर्जीवाड़े के खिलाफ निर्णायक कदम है। इस ऑपरेशन से जुड़े अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है और कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।”

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