देर रात लड़की अकेली खड़ी थी बिल्डिंग के बाहर, तभी रैपिडो ड्राइवर किया ऐसा काम…

आमतौर पर ऐसे वक्त पर कैब या रैपिडो ड्राइवर पैसेंजर को ड्रॉप करके अपना रास्ता पकड़ लेते हैं। लेकिन इस बार कहानी थोड़ी अलग थी। शिवानी के साथ जो रैपिडो ड्राइवर आया था, उसने उन्हें यूं अकेला छोड़कर जाने की बजाय वहीं रुकने का फैसला किया।

गरबा का सीजन हो और लड़कियां तैयार होकर प्रोग्राम में जाएं फिर रात को लौटते वक्त थकान के साथ-साथ घर पहुंचने की जल्दी भी रहती है। कुछ ऐसा ही हुआ शिवानी शुक्ला के साथ। वो गरबा प्रोग्राम से अपने फ्लैट लौट रही थीं। सब कुछ नॉर्मल था, लेकिन जैसे ही बिल्डिंग के गेट पर पहुंचीं तभी उन्हें एहसास हुआ कि बड़ी गड़बड़ हो गई है। वो अपनी फ्लैट की चाबी लाना ही भूल गई थीं। अब आप सोचिए देर रात का टाइम लड़की अकेली और बिल्डिंग के बाहर खड़ी है तो बेचैनी होना तो लाजमी है। हालांकि, आज की इस खबर में हम आपको ऐसे ही एक वीडियो के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप भी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाएंगे। आइए जानते हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
आमतौर पर ऐसे वक्त पर कैब या रैपिडो ड्राइवर पैसेंजर को ड्रॉप करके अपना रास्ता पकड़ लेते हैं। लेकिन इस बार कहानी थोड़ी अलग थी। शिवानी के साथ जो रैपिडो ड्राइवर आया था, उसने उन्हें यूं अकेला छोड़कर जाने की बजाय वहीं रुकने का फैसला किया। उसने सोचा कि जब तक शिवानी की रूममेट नहीं आ जातीं, वो सड़क पर अकेली खड़ी न रहें। शिवानी ने खुद ड्राइवर को कहा भी कि “आप जाइए, मैं संभाल लूंगी,” लेकिन इंसानियत का फर्ज निभाते हुए ड्राइवर ने साफ कहा, “नहीं मैडम, मैं यहीं रुकूंगा। आप अकेली हैं, देर रात है, जब तक आपकी रूममेट नहीं आती मैं नहीं जाऊंगा।”

लड़की के साथ खड़े रैपिडो ड्राइवर
अब आप समझ सकते हैं कि उस पल में शिवानी के लिए ये कितना बड़ा सहारा रहा होगा। वरना सोचिए अगर ड्राइवर चला जाता तो वो अकेले अंधेरे में सड़क पर खड़ी रहतीं। न जाने कितना डर और बेचैनी होती। लेकिन उस इंसान की छोटी-सी समझदारी और जिम्मेदारी ने हालात को हल्का कर दिया। कुछ देर बाद उनकी रूममेट आ गईं और दरवाजा खुल गया। तब जाकर ड्राइवर ने चैन की सांस ली और फिर अपने रास्ते चला गया। ये कहानी सुनने में भले छोटी लगे, लेकिन इसमें एक बड़ी सीख छुपी है। अक्सर हम छोटी-छोटी मददों को अनदेखा कर देते हैं। सोचते हैं कि हमारा क्या जाता है? लेकिन सच कहें तो इंसानियत की असली खूबसूरती इसी में है कि जब सामने वाले को हमारी जरूरत हो तो हम उसका साथ दें। खासकर तब जब हालात थोड़े मुश्किल हों।

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