दुनिया का इकलौता ऐसा गांव, जो बसा किसी और देश में है, लेकिन आज भी चलता है अंग्रेजों का शासन!

क्या आपने कभी सुना कि कोई गांव किसी और देश में हो, लेकिन उसका कानून दूसरा देश चलाए? यकीनन, सुनकर ही हैरानी हो रही होगी. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं. यह गांव साइप्रस में स्थित है, जिसका नाम पायला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी साइप्रस के दौरे पर हैं. साइप्रस वो देश है, जिसका तुर्की के साथ सीमा विवाद है. तुर्की अक्सर भारत की जगह पाकिस्तान का सपोर्ट करता है. ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम मोदी का यह दौरा तुर्की को कड़ा संदेश देने के लिए है. खैर बात हम उस गांव की कर रहे हैं, जो साइप्रस में होकर भी ब्रिटेन के अधीन है. इतना ही नहीं, यहां के लोगों को साइप्रस की नागरिकता भी नहीं मिली हुई है.

बता दें कि यह अनोखा गांव यूके के सॉवरेन बेस एरिया (SBA) ढेकेलिया में आता है, जहां ब्रिटिश कानून लागू है. यह 1960 में साइप्रस की आजादी के बाद यूके के कब्जे में रहा. 98 वर्ग मील में फैले अक्रोटिरी और ढेकेलिया SBA ब्रिटिश सैन्य अड्डों के लिए बने, लेकिन इनमें गांव और खेत भी हैं. पायला UN बफर जोन (ग्रीन लाइन) के पास है, जो साइप्रस को तुर्की कब्जे वाले उत्तरी साइप्रस से अलग करता है. लेकिन इसकी स्थिति जटिल है. गांव का कुछ हिस्सा SBA में है, कुछ साइप्रस में और कुछ उत्तरी साइप्रस (तुर्की कब्जे वाला) के पास. यहां ब्रिटिश कानून चलता है, यानी साइप्रस के कानून लागू नहीं होते. SBA का प्रशासन ब्रिटिश मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस के तहत काम करता है. गैर-सैन्य मामलों में कोर्ट ऑफ सॉवरेन बेस एरिया काम करता है, लेकिन गांव वाले इसकी स्वतंत्रता पर सवाल उठाते हैं. वो शिकायत करते हैं कि ब्रिटिश अथॉरिटी उनके साथ साइप्रस सरकार जैसा बर्ताव नहीं करती. खासकर तुर्की साइप्रियट्स को लगता है कि SBA प्रशासन साइप्रस सरकार के ज्यादा करीब है.

यहां नागरिकता का मसला सबसे बड़ा है. गांव वालों को साइप्रस की नागरिकता पूरी तरह नहीं मिली. 1960 के ट्रीटी ऑफ इस्टैब्लिशमेंट के तहत कुछ को साइप्रस पासपोर्ट मिला, लेकिन तुर्की साइप्रियट्स को अक्सर नागरिकता से वंचित रखा गया. SBA में जन्मे लोग ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरीज सिटिजनशिप (BOTC) के लिए अप्लाई कर सकते हैं, अगर उनका या उनके माता-पिता का जन्म 1983 से पहले हुआ. लेकिन BOTC से ब्रिटेन में रहने का अधिकार नहीं मिलता. उन्हें यूके वीजा के लिए साइप्रस पासपोर्ट चाहिए, जो कई के पास नहीं हैं. तुर्की साइप्रियट्स की दिक्कतें और भी हैं. वो गांव में आजादी से घूम नहीं सकते. खेतों तक जाने या रिश्तेदारों से मिलने के लिए बार-बार इमिग्रेशन और कस्टम्स चेक से गुजरना पड़ता है. उत्तरी साइप्रस से सामान लाना भी मुश्किल है, क्योंकि SBA और उत्तरी साइप्रस के बीच EU कस्टम्स बॉर्डर जैसा व्यवहार होता है.

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