दिल्ली में गिरता भूजल स्तर: डीपीसीसी सख्त, अवैध बोरवेल के खिलाफ होगी कार्रवाई

विभाग ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को अवैध बोरवेलों पर कार्रवाई के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की जानकारी सौंपी है।

राजधानी में अवैध बोरवेल के जरिए भूजल दोहन को रोकने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने कड़ा रुख अपनाया है। विभाग ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को अवैध बोरवेलों पर कार्रवाई के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की जानकारी सौंपी है। कार्रवाई रिपोर्ट में डीपीसीसी ने अदालत को बताया कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को अवैध बोरवेल की पहचान करना, संबंधित एसडीएम को उसे सील करना और डीपीसीसी को पर्यावरणीय क्षति मुआवजा (ईडीसी) लगाना इसमें शामिल है।

एनजीटी ने हाल ही में अवैध बोरवेलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके तहत डीपीसीसी ने अपनी एसओपी तैयार की है। इस एसओपी में अवैध बोरवेलों की पहचान, उनके खिलाफ कार्रवाई, और उन्हें सील करने की प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है। डीपीसीसी ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी जिला प्रशासनों और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के साथ समन्वय स्थापित कर कार्रवाई को प्रभावी बनाया जाए। एनजीटी ने एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया था। इसमें दावा किया गया है कि मयूर विहार में नोएडा लिंक रोड से सटे यमुना के किनारे बोरवेल के जरिए भूजल का कथित अवैध दोहन हो रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, डीपीसीसी ने 26 जून, 2025 को जिला मजिस्ट्रेट (पूर्व) को एक पत्र जारी किया, जिसमें उनसे मामले की जांच करने और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, राजस्व कार्यालय को बोरवेल की जानकारी जल्द से जल्द उपलब्ध कराने के लिए कहा, ताकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार उपयुक्त पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई जा सके। वहीं, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने 27 मई, 2025 के निर्देशों के तहत एक मीडिया रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों की जांच के लिए डीजेबी, केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), डीपीसीसी, सीपीसीबी, डीएम (पूर्व) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के प्रतिनिधियों वाली एक समिति गठित की है। इसके अलावा, सीजीडब्ल्यूए ने संबंधित विभागों को इस संयुक्त समिति के लिए प्रतिनिधि नियुक्त करने का निर्देश दिया है। इसमें डीजेबी संयुक्त समिति की नोडल एजेंसी होगी।

दिल्ली सरकार ने 2020 में की थी बैठक
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के मुख्य सचिव ने 12 जून 2020 को नगर निगम अधिकारियों, दिल्ली जल बोर्ड, डीपीसीसी और दिल्ली के जिलाधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। दिल्ली सरकार ने भूजल के अवैध दोहन की रोकथाम के लिए भूजल दोहन का विनियमन, बंद करना, बोरवेल-ट्यूबवेल के उपयोग से संबंधित अवैध गतिविधियों पर प्रतिबंध शीर्षक से एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है। इसके मुताबिक, सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना घरेलू, वाणिज्यिक, कृषि या औद्योगिक उपयोग के लिए बोरवेल या ट्यूबवेल के माध्यम से भूजल निकालना अवैध और कानूनी अधिकार के बिना माना जाएगा। राजस्व के उपायुक्त को अवैध कुओं का पता लगाना और उन्हें बंद करने की निगरानी करनी होगी।

विभिन्न एजेंसियों को सौंपा गया है काम
एसओपी के अनुसार, अवैध बोरवेल व ट्यूबवेल बंद करने के उद्देश्य से प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करने हेतु संबंधित एसडीएम की देखरेख में संयुक्त कार्रवाई दल गठित किए जाएंगे। संयुक्त दल में दिल्ली जल बोर्ड, डिस्कॉम और स्थानीय पुलिस के क्षेत्रीय अधिकारी शामिल होंगे। साथ ही, सलाहकार समिति के अध्यक्ष, उपायुक्त, भूजल के अवैध दोहन के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) वसूलने हेतु अवैध बोरवेलों का विवरण डीपीसीसी को भेजेंगे। वहीं, डीपीसीसी, सीपीसीबी की ओर से 26 जून, 2019 को जारी अपनी रिपोर्ट में निर्धारित पद्धति के अनुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति का आकलन करेगा। पर्यावरण क्षतिपूर्ति के आकलन के बाद, मांग प्रस्तुत की जाएगी और वसूली न होने की स्थिति में एसडीएम, भू-राजस्व के बकाया के रूप में पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली करेंगे।

पिछले कुछ महीनों में 12,000 से अधिक अवैध बोरवेल सील
दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम जिलों में बड़ी संख्या में अवैध बोरवेल सील किए गए हैं। एनजीटी की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में 12,000 से अधिक अवैध बोरवेलों को सील किया गया है। इसमें दक्षिण-पश्चिम इलाके में जहां कुल 6,926 अवैध बोरवेल में से 5,886 को सील किया। वहीं, उत्तर-पश्चिम इलाके में कुल 9,128 अवैध बोरवेल में से 2,644 बाेरवेल सील किए गए। वहीं, पूर्वी दिल्ली में कुल 147 अवैध बाेरवेल में से 128 को सील किया गया। वहीं, पर्यावरण मुआवजे के रूप में 38.30 लाख रुपये वसूले गए हैं।

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