दिल्ली: जेएनयू में जल निकायों को मिलेगा नया जीवन

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में जल निकायों के जीर्णोद्धार की तैयारी है। जिससे परिसर में रहने वाले वन्यजीवों को साफ-सुथरा पानी पीने के लिए उपलब्ध हो सकें। इसके लिए जल निकायों को चिन्हित कर लिया गया है।

जेएनयू की एनिमल वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष प्रो. पीयूष प्रताप सिंह ने कहा कि जेएनयू में कई छोटे-बड़े जल निकाय है। गर्मी के मौसम में सूख जाते है। ऐसी स्थिति को रोकने के लिए जल निकायों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। जिससे वर्षभर उनमें पानी मौजूद रहे और वन्यजीवों को पानी मिल सकें। जल निकायों की सफाई होगी उनमें जमी गाद को निकाला जाएगा। इस संबंध में सोसाइटी की पहली बैठक भी हुई। इसमें जल निकायों के जीर्णोद्धार सहित परिसर में वन्यजीवों के संरक्षण पर निर्णय लिए गए।

इन जगहों पर हैं जल निकाय
सोसाइटी सदस्य विपुल जैन ने बताया कि जेएनयू का 85 फीसदी हिस्सा वन क्षेत्र है। अरावली की पहाड़ियों में अलग-अलग जगहों पर जल निकाय है। पश्चिमाबाद, ब्रह्मपुत्रा, ताप्ती हॉस्टल के पीछे, शिप्रा और कोयना हॉस्टल के पास बड़े जल निकाय है। जबकि सरस्वतीपुरम और न्यू ट्रांजिट हाउस पावर ग्रिड के पास छोटे-छोटे जल निकाय बने हुए है। इसमें पश्चिमाबाद, शिप्रा और कोयना हॉस्टल के पास बने जल निकाय में बने एनीकट में दरार आ गई है। इससे जल संचयन नहीं हो पा रहा है। साथ ही न्यू ट्रांजिट हाउस और ताप्ती हॉस्टल के पास के जल निकायों में सीवेज लाइन से पानी रिसकर आ रहा है। जिससे पानी दूषित हो रहा है।

कई प्रजातियों के जीव करते हैं विचरण
इस संबंध में नगर निगम और सरकार के अधिकारियों से भी बातचीत की गई। जिससे जल निकायों के जीर्णोद्धार की दिशा में कार्य हो सकें। जेएनयू में पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है। जेएनयू परिसर एक हजार से अधिक एकड़ क्षेत्र में फैला है। इसमें अलग-अलग प्रजाति के वन्यजीव रहते है। जेएनयू में करीब 100-125 नील गाय, 100 इंडियन गोल्डन जैकल, मॉनिटर लिजार्ड, विभिन्न किस्म के सांप, 29 से ज्यादा प्रकार की तितलियां, 200-300 मोर, 300-400 बिल्लियां और 200-250 की तादाद में कुत्ते मौजूद है। इसके अलावा कॉमन पाम सिवेट, स्मॉल इंडियन सिवेट, इंडियन क्रेस्टेड पॉर्क्यूपाइन सहित कई दूसरे जीव परिसर में रहते है।

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