थ्रेडिंग या वैक्सिंग, आइब्रो बनवाने के लिए क्या है बेस्ट

चेहरे की खूबसूरती निखारने में हमारी आंखें अहम भूमिका निभाती हैं। और जब आंखों में काजल लग जाता है तो फिर क्या ही कहने! हालांकि, हमारी आंखों के ऊपर बने आइब्रो भी आपको सुंदर बनाते हैं। सही शेप वाली आइब्रो न केवल आंखों की खूबसूरती बढ़ाती हैं, बल्कि पूरे लुक को भी अट्रैक्टिव बनाती हैं। यही वजह है कि ज्यादातर लोग समय-समय पर आइब्रो शेपिंग करवाते हैं।
पार्लरों में आइब्रो कई तरह से बनवाएं जाते हैं। जिनमें से थ्रेडिंग और वैक्सिंग सबसे आसान तरीका माना जाता है। दोनों ही तरीकों से आइब्रो को मनचाहा शेप दिया जा सकता है, लेकिन इनके प्रॉसेस, एक्सपीरियंस और नतीजे अलग-अलग होते हैं। अक्सर लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज हो जाते हैं कि आखिर इनके बीच फर्क क्या है और कौन सा तरीका उनके लिए सही रहेगा।
ऐसे में जरूरी है कि इन दोनों तरीकों के बारे में अच्छे से समझा जाए, ताकि आप अपने लिए सबसे बेहतर ऑप्शन चुन सकें। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि आइब्रो को शेप देने के लिए कौन सा तरीका बेस्ट होता है।
थ्रेडिंग के फायदे और नुकसान
थ्रेडिंग करवाने से आप अपनी पसंद का शेप पा सकती हैं। खासकर तब, जब आप डिफाइन की हुई आईब्रो चाहती हैं। ये सेंसिटिव स्किन वालों के लिए सबसे अच्छा तरीका हो सकता है, क्योंकि इसमें उनकी स्किन पर किसी भी तरह का केमिकल नहीं इस्तेमाल किया जाता है। थ्रेडिंग करवाने से छोटे-छोटे बाल आसानी से निकल जाते हैं। हालांकि, इसे कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। आपको बाल निकलवाते समय थोड़ी चुभन या दर्द महसूस हो सकता है। साथ ही जलन या रेडनेस की दिक्कत भी हो सकती है।
वैक्सिंग कराने के फायदे और नुकसान
ये आसानी से कुछ ही सेकंड में बालों को निकाल देता है। ये एक फास्ट प्रॉसेस होता है। साथ ही वैक्सिंग करवाने से बाल भी देर से निकलते हैं। ये डेड स्किन सेल्स को भी हटा देता है। हालांकि, जिनकी त्वचा कोमल है, उनके लिए ये नुकसानदायक हो सकता है। स्किन भी डैमेज हो सकती है।
दोनों में से क्या है सही तरीका?
अगर आप इन दोनों में कन्फ्यूज हैं ताे हम आपको बता दें कि अगर आपकी स्किन बहुत नाजुक यानी कि कोमल है तो आपके लिए थ्रेडिंग बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। वहीं दूसरी ओर, अगर आपके आइब्रो के बाल मोटे हैं और स्किन भी ज्यादा सेंसिटिव नहीं है तो वैक्सिंग बेहतरीन रहेगा।