…तो इसलिए ISI भी चाहता है मोदी ही बने रहे भारत के पीएम

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अपने चरम पर है. देश में मोदी लहर का असर चार साल बाद भी देखने को मिल रहा है. शायद यह मोदी की लोकप्रियत का ही नतीजा है कि देश के 21 राज्यों में भाजपा अपनी सरकार बना चुकी है और अन्य राज्यों पर कब्ज़ा जमाने की फिराक में है. लेकिन मोदी की लोकप्रियत यहीं तक सीमित नहीं है. देश में तो हर हर मोदी घर घर मोदी के नारे लगते ही है साथ ही भारत का चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई भी मोदी भक्त हो गई है. यां यूं कहें कि साल 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी के नाम पर बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत ने ISI को भी जश्न मनाने का मौका दे दिया था. ...तो इसलिए ISI भी चाहता है मोदी ही बने रहे भारत के पीएम

दरअसल ये चौकाने वाला खुलासा, ‘आईएसआई’ के पूर्व डीजी असद दुरानी ने भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ के पूर्व चीफ एएस दुलत के साथ संयुक्त रूप से लिखी किताब ‘द स्पाई क्रॉनिकल्स: रॉ, आईएसआई ऐंड द इल्युशन ऑफ पीस’ में किया है. इस किताब को लेकर काफी बवाल भी हो रहा है. इसे दो स्पाईमास्टर्स और पत्रकार आदित्य सिन्हा ने लिखा है. इस किताब के जरिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व डायेक्टर जनरल असद दुर्रानी और भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व सेक्रटरी ए. एस. दुलत ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की है. दोनों देशों के रिश्ते पर लिखी गई इस किताब में कश्मीर समस्या, करगिल युद्ध, ओसामा बिन लादेन का मारा जाना, कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी, हाफिज हईद, बुरहान वाणी आदि समस्याओं पर भी खुलकर जिक्र किया गया है, जिसपर पकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है.

इस किताब के जरिये असद दुर्रानी ने खुलासा किया है कि 2014 के चुनावों में पाकिस्तान की सी​क्रेटी सर्विस एजेंसी आईएसआई की पहली पसंद मोदी ही थे. दुरानी कहते है कि पीएम मोदी की कट्टरपंथी छवि है. इसको देखते हुए वह यह आस लगाए बैठा है कि वे कोई ऐसा कदम उठाएंगे, जिससे भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचेगा और इसका फायदा पाकिस्तान को ग्लोबल प्लेटफार्म पर होगा. इस किताब में ऐसे ही कई अन्य बड़े खुलासे भी किए गए है.

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