…तो इस वजह से धार्मिक कार्यों में अक्षत को माना जाता हैं शुभ

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पूजा में या फिर किसी भी धार्मिक कार्य में हल्दी कुमकुम के अलावा हम अक्षत भी चढ़ाते हैं. पूजा की थाल करने में हम इस बात का ध्यान रखते हैं कि चावल या अक्षत रखना ना भूलें. बहुत से लोग इस बात को नहीं जानते कि हम भगवान को या फिर किसी भी धार्मिक काम में चावल क्यों चढ़ाते हैं. अगर आप भी नहीं जानते तो हम आपको बता देते हैं आखिर क्या महत्व है शुभ कार्यों में चावल या अक्षत चढाने क. चलिए जानते हैं क्या महत्व है और किस तरह चढ़ाये जाते हैं ये चावल या किन बताओं का ध्यान रखना चाहिए....तो इस वजह से धार्मिक कार्यों में अक्षत को माना जाता हैं शुभ

पूजा पाठ करते समय इन बातो का ध्यान रखें कि थाल में कभी अक्षत रखना ना भूलें. इसी के साथ ये भी याद रखें कि वो वो चावल साफ और धुले हुए हो.

चावल के दाने साबूत होने चाहिए और पूर्ण रूप से साफ़ हो. टूटे हुए चावल को कभी भगवान को अर्पित ना करें. चावल पूर्णता का प्रतीक है और इसी लिए कभी भी इन्हें आधे वाले चावल ना चढ़ाएं.

शिवलिंग पर अक्षत चढ़ाना शुभ माना जाता है. कहते हैं अक्षत से शिवजी प्रसन्न होते हैं. पूरे चवल चढाने से आपको कभी भी धन, मान सम्मान की कमी नहीं होइत बल्कि शिवजी की कृपा बनी रहती है.

भगवान को रोज़ 4 दाने अक्षत के चढ़ाएं जिससे आपकी मनोकामना पूरी होगी. घर में माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमा को चावल की ढेरी पर पर स्थापि‍त करें जिससे आपको कभी धन की कमी नहीं होगी.

चावल चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें – 
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकमाक्ता: सुशोभिता:. मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥

अक्षत का अर्थ  होता है पूरा और हम अक्षत इसलिए चढ़ाते हैं ताकि हमारा जीवन भी अक्षत की तरह पूरा होता रहे और ईश्वर की कृपा हम पर बनी रहे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button